Book Title: Jain Sahitya Samaroha Guchha 1
Author(s): Ramanlal C Shah, Kantilal D Kora, Pannalal R Shah, Gulab Dedhiya
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 381
________________ ३६२ जैन साहित्य समारोह पहले प्रकाशित हुआ था । और भी कई ग्रन्थ अपभ्रंश जैन साहित्य सम्वन्धी निकल चुके हैं । डा. देवेन्द्रकुमार शास्त्री का एक ग्रन्थ भारतीय : ज्ञानपीठ से 'अपभ्रंश भाषा और साहित्य की शोधप्रवृत्तियाँ" नामक प्रकाशित हुआ है जिस में अपभ्रंश जैन रचनाओं की विस्तृत सूचि दी गयी है । भारतीय विश्व विद्यालय से इधर २५-३० वर्षो में शोधकार्य काफी हुआ है । अनेक जैन विषयो पर शोधकार्य हुआ और हो रहा है । उन सब शोधप्रबन्धोंकी सूचि प्रकाशित होनी चाहिए | सब विश्वविद्यालय से जो शोधकार्य हुआ है उसकी जानकारी देनेवाले कई ग्रन्थ निकल चूके हैं । दो वर्ष पहले हिन्दी अनुशीलन का एक विशेषांक प्रकाशित हुआ है, जिसमें हिन्दी में जितने भी शोधप्रबन्ध लिखे गये हैं उनकी सूचि दी गयी है । इसी तरह गुजराती में जा शोधप्रबन्धे लिखे गये हैं उनकी भी २ - ३ सूचियाँ प्रकाशित हो चूकी है । मराठी, अंग्रेजी आदि अन्य भाषाओं में वे शोध का विवरण छपा होगा पर मेरी जानकारी में नहीं है, मुझे दखने में नहि आया । इन शोधप्रबन्धों की सूचियों में से प्रत्येक विद्यालय से जो शोधकार्य हो रहा है उनकी सूचियाँ मंगाकर जैन विषयो पर जो भी शोधप्रबन्ध लिखे गये हैं उन सच का एक विवरणग्रन्थ प्रकाशित होना चाहिये । इसी तरह विद्वानो से अनुरोध कर के किन किन जैन विषयो और साहित्य पर शोधकार्य हो सकता है उनकी अक संभवित सूचि मी, बड़ी से बड़ी, प्रकाशित की जाय जिससे भावि शोधकार्य की प्रेरणा और बल मिल सके । वास्तव में अबतक जैन साहित्य इतना विविध, विशाल और महत्त्वपूर्ण होते हुए भी उपेक्षित रहा है उस के मूल्यांकन शीघ्रातिशीघ्र किया जाना आवश्यक है, जिस से जैन साहित्य का वास्तविक महत्त्व प्रकाश में आ सके और भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति को जैनो की कितनी बडी देन है, यह विश्वविदित हो सके । Jain Education International * For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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