Book Title: Jain Patrakaratva
Author(s): Gunvant Barvalia
Publisher: Veer Tattva Prakashak Mandal

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Page 206
________________ Mन पत्रहारत्व M ARAM डॉ. दिलीप सक्सेना, श्री सुनित कुमार जैन, श्री देवेन्द्र नाथ मोदी, श्री नमन महेता, श्री नरेन्द्र कक्कड, डॉ. अनेकान्त कुमार जैन, श्री जितेन्द्रुमार चौपडा, श्रीमती पारसकंवर भण्डारी, श्रीमती मोनिका डांगी, श्रीमती शशि बोहरा, सौ. कमला सिंघवी, श्री सलमान अर्शद्, श्रीमती सुमन डागा, श्री कमलेश मेहता, श्री सुरेन्द्र सिंधवी, श्री नितेश नागोता, डॉ. इन्द्रा जैन, डॉ. श्वेता जैन, डॉ. सरोज कौशल, डॉ. चन्द्रशेखर, डॉ. ऑ. पी. टाक, श्री राजकुमार जैन, डॉ. शौलजा अरोडा, श्री उत्तमचन्द डागा, श्री निलेश कुमार चैन आदि। गत चार वर्षों से लेखकों के उत्साहवर्धक हेतु 'जिनवाणी' श्रेष्ठ लेखक पुरस्कार भी आयोजित किया जा रहा है। जिनवाणी पत्रिका के फिलर ही इसके पिलर है। समय के अभाव में कई व्यक्ति जिनवाणी के लेख नहीं पढ़ पाते हैं तो वे सिर्फ लेख की पूर्ति में प्रकाशित किए जाने वाले फिलर पढकर ही अपना ज्ञानवर्धन कर लेते हैं। उनमे भी बहुत महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी जाती है। भ्रष्टाचार के लिए चल रही मुहीम को ध्यान में रखते हुए एक संगोष्ठी का आयोजन डॉ. जैन द्वारा किया गया था। गोष्ठी में पठित आलेखों को उपयोगी जानकर सम्पादक महोदय ने उन्हें प्रकाशित किया। पिछले दिसम्बर से मार्च तक के अंक भ्रष्ठाचार के आलेखों से अलंकृत है। वर्तमान में जिनवाणी के विषयों का अनुक्रम इस प्रकार रहता है - अगम्यवाणी, विचार-वारिधि, वाग्वैभ, प्रवचन, प्रासंगिक, अंग्रेजी स्तम्भ, पत्र स्तम्भ, युवा स्तम्भ, नारी स्तम्भ, बाल स्तम्भ, स्वास्थ्य विज्ञान, जीवन-व्यवहार, कविता, गीत. विचार साहित्य-समीक्षा, मासिक प्रश्नमंच प्रतियोगिता, समाचार विविधा। - डॉ. जैन के समय में पाँच विशेषांक प्रकाशित हुए - (१) सम्यग्दर्शन विशेषांक १९९६, (२) क्रियोध्धार चेतना अंक - १९९७, (३) जैनागम विशेषांक -२००२, (४) प्रतिक्रमण विशेषांक - २००६, (५) गुरु-गरिमा एवं श्रमण जीवन विशेषांक-२०११ । ये सभी विशेषांक अपने आपमें उस विषय की जानकारी के लिए एक कोश के समान हैं। इन सभी विशेषांको का पा कों ने खूब सराहा। ૨૦૧

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