Book Title: Jain Hitopadesh Part 2 and 3
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana

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Page 3
________________ RRRRRRRRRRREAREDREARRARRAN AUKaliyYHMSIRVAILANGANA ANILANI am Prevees DS भेट! भेट !! भेट !!! __परोपकाराय सतां विभूतयः श्री जैन हितोपदेश. भाग २-३ जो. ___ नीति अने वैराग्यना विषयथी भरपुर. शांतमूर्ति मुनिराज श्री वृद्धिचंद्रजी शिष्याणु व मुनि कर्पूरविजयजी विरचित. स्वधी भाइओने वांचवा भगवा निमित्ते. श्रीवीसनगर निवासी परी.गोकळभाइ मुळचंदनी दीकरी बेन चंदनबेन तरकथी भेट. छपाची प्रसिद्ध कता. श्री जैन श्रेयस्कर मंडळ-म्हेसाणा. सीटी ग्रीन्टींग प्रेस-दाणापीठ-अमदावाद. वीर संवत् २४३४. सने १९०८. विक्रम संवत १९६४

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