Book Title: Jain Hitopadesh Part 2 and 3 Author(s): Karpurvijay Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana View full book textPage 8
________________ अनुक्रमणिका. श्री जैनहितोपदेश भाग २ जो. १ सद्भाषितावळी.... .... .... ? थी १२४ १ शिष्ट सेवित सन्मार्गर्नु सेवनकर २ शिष्ट निंदित पाप कार्यनो परिहार कर .... ३ निर्मळ श्रद्धान कर .... ४ मिथ्यात्वनो त्याग कर ६ सदाचारनुं सेवन कर .... ७ इंद्रियोनुं दमन कर ८ स्त्रीनो संग-परिचय तज .... ९ विषय रसनो त्याग कर .... १० श्री वीतराग देवनी भक्ति कर. ११ सद्गुरुर्नु सेवन कर ..., १२ तप करवामां यथाशक्ति प्रयत्न कर १३ जीवाने वश कर .... १४ राग द्वेषनो त्याग कर .... १५ क्रोधादि कषायने दूर कर .... १६ अहिंसा व्रतनो आदर कर ... १७ सत्य वस्तुनुं पालन कर १८ अदत्तनो त्याग करPage Navigation
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