________________
१७०
ईंटों पर भी लेख मिले हैं। ये लेख ईंटोंके साथ साँचेमें ढाले हुए हैं । ये बहुधा पंजाब और संयुक्त प्रांतमें मिले हैं। जिला गाजीपुरमें बहुतसी ईंटें मिली हैं जिन पर राजा कुमारगुप्तके लेख हैं। कुछ ईंटों . पर बौद्धधर्मसंबंधी सूत्र भी लिखे मिले हैं।
२ भाषा। __ ये लेख अनेक भाषाओं और लिपियोंमें हैं । अधिकतर लेख संस्कृत प्राकृत और पाली भाषाओंमें हैं; अन्य भाषाओंमें कनडी, तैलंग, मलयालम, मराठी इत्यादि मुख्य हैं। मुसलमान बादशाहोंके लेख झारसी और अरबी भाषाओंमें है । अधिकांश लेख गद्यमें हैं; कुछ पद्यमें तथा मिश्रित गद्य और पद्यमें भी हैं। कई प्रकारकी प्राकृत भाषाओं और पाली भाषाके पढ़ने और समझनेमें पहले बड़ी कठिनाइयोंका सामना करना पड़ा है। कुछ लेखोंके पढ़नेमें तो अनेक विद्वानोंको बरसों तक सरतोड़ परिश्रम करना पड़ा है। किन्तु बड़े परिश्रमके पश्चात् अब इन भाषाओंके कोश और व्याकरण बन गये हैं। अतएव वर्तमान और आगामी पुरातत्त्वान्वीषयोंके लिए बड़ी सुगमता हो गई है। इन लेखों पर संवत् भी भिन्न भिन्न मिलते हैं; कलियुग, विक्रम, मालव, शक, गुप्त, चेदी, लक्ष्मणसेन, नेवाड़ इत्यादि कई संवत् हैं। बहुतसे लेखोंमें मास और तिथियाँ तक लिखी हैं। कई लेखोंमें संवत्के अंक तो दिये हैं किन्तु यह नहीं लिखा कि वे कौनसे संवत् हैं । ऐसे लेखोंके कालनिर्णय करनेमें बड़ा कष्ट उठाना पड़ता है। लेखोंके संवतोंके विषयमें भी विद्वानोंने कई पुस्तकें लिख डाली हैं जिनसे कालनिर्णयमें बहुत सहायता मिलती है। . ( अपूर्ण)
मोतीलाल जैन, आगरा ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org