Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 03
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 62
________________ १८८ विविध प्रसङ्ग। १ इन्दौरका उत्सव। इन्दौरका उत्सव आनन्दके साथ समाप्त हो गया। इसमें सन्देह नहीं कि यदि इसके साथ ही 'जैनहाईस्कूल' के खोलनेका भी समारम्भ होता तो उत्सवका रंग कुछ और ही हो जाता, परन्तु स्कूल न खुल सका, इससे लोगोंका उत्साह कुछ मन्दसा रहा-तो भी उत्सव खासा हुआ और अच्छी सफलताके साथ हुआ। उपदेश और व्याख्यानोंकी, शास्त्रचची और उन्नतिचर्चाकी, सभाओं और प्रस्तावोंकी कई दिन तक अच्छी चहल पहल रही। मालवा प्रान्तिक सभाकी ता० २ और ३ अप्रैलको दो बैठकें हुई। उनमें दो बातें महत्त्वकी हुई-एक तो सभापति सेठ हीराचन्द नेमीचन्दका विचारपूर्ण व्याख्यान और दूसरी, सभाके स्थायी फण्डके लिए लगभग सात हज़ार रुपयोंका चन्दा । एक दिन मोरेनाकी जैनसिद्धान्तपाठशालाके स्थायी फण्ड खोलनेका विचार किया गया। एक लाख रुपयेकी आवश्यकता समझी गई। स्थायी फण्डके लिए एक ट्रम्न • कमेटी चुनी गई और चन्दा एकत्र करनेके लिए एक 'डेप्युटेशन पार्टी' बनाई गई । दानवीर सेठ हुकमचन्दजीने डेप्युटेशनके साथ घूमनेकी बड़ी प्रसन्नतासे स्वीकारता दी और जब सभाके सम्मुख चन्देकी अपील की गई तब आपने पाठशालाको बड़े ही उत्साहसे १०००० रुपया देकर उसके स्थायी फण्डकी नीव डाल दी। लगभग डेड हजार रुपयेके और भी चन्दा हुआ। गरज यह कि अब सिद्धान्तपाठशालाके स्थायी होनेमें कोई सन्देह नहीं रहा । डेप्युटेशन पार्टीका दौरा बहुत जल्दी शुरू होगा। इस उत्सवमें दो कार्य और भी बड़े महत्त्वके हुए -एक तो रायबहादुर सेठ कल्याणमजीने इन्दौरमें एक कन्यापाठशाला खोलनेके लिए २५००० रु० देना स्वीकार किया और ता. ६ अप्रैलको उसका प्रारंभिक मूहुर्त भी कर दिया और दूसरा इन्दौर में एक 'उदासीनाश्रम' खोलनेका निश्चय किया गया । इसके लिए दानवीर सेठ हुकमचन्दजीने १०००० रु० ( आश्रमकी इमारतके लिए ) रायबहादुर सेठ कल्याणमलजीने १०००० रु. और अण्यान्य धर्मात्माओंने लगभग ५००० रु० का और भी चन्दा देना स्वीकार किया। इस तरह इस उत्सवमें सब मिला कर लगभग ७० हजार रुपयोंका दान हुआ। इसमें सन्देह नहीं कि इस समय इन्दौरकी धनिकमण्डलीकी उदारताका स्रोत खूब. ही Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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