Book Title: Jain Gruhastha ki Shodashsanskar Vidhi
Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 145
________________ षोडश संस्कार आचार दिनकर 115 यह मंत्र बोलकर पुनः परमात्मा की पूजा करे। फिर सुगन्धित द्रव्य लेकर निम्न मंत्रपूर्वक परमात्मा के चरणो के नीचे स्थापित ग्रहों पर, या स्नानपट्ट पर वासक्षेप करे। वासक्षेप करने का मंत्र इस प्रकार है “ॐ सूर्यसोमांगारकबुधगुरुशुक्रशनैश्चरराहुकेतु प्रमुखाः ग्रहाः इह जिनपादाग्रे समायान्तु पूजां प्रतीच्छन्तु ।” फिर निम्न मंत्र बोले - “आचमनमस्तु गन्धमस्तु पुष्पमस्तु अक्षतमस्तु फलमस्तु धूपोऽस्तु दीपोऽस्तु " इस क्रम से जल, गन्ध, पुष्प, अक्षत, फल, धूप, दीप के द्वारा ग्रहों की पूजा करे । फिर अंजलि के अग्रभाग में पुष्प ग्रहण करके निम्न मंत्र बोले “ॐ सूर्यसोमांगारकबुधगुरुशुक्रशनैश्चरराहुकेतु प्रमुखा ग्रहाः संपूजिताः सन्तु सानुग्रहाः सन्तु तुष्टिदाः सन्तु पुष्टिदाः सन्तु मांगल्यदाः सन्तु महोत्सवदाः सन्तु ।” यह मंत्र बोलकर ग्रहों पर पुष्पारोपण करे। पुनः निम्न मंत्र बोले "ॐ इन्द्राग्नियमनिर्ऋतिवरूणवायुकुबेरेशाननागब्रह्मणो लोकपालाः सविनायकाः सक्षेत्रपालाः इह जिनपादाग्रे समागच्छन्तु पूजां प्रतीच्छन्तु।" यह मंत्र बोलकर पूजापट्ट के ऊपर लोकपालों पर वासक्षेप करे । फिर "आचमनमस्तु गन्धमस्तु पुष्पमस्तु अक्षतमस्तु फलमस्तु धूपोऽस्तु दीपोऽस्तु " इस क्रम से जल, गन्ध, पुष्प, अक्षत, फल, धूप एवं दीप के द्वारा लोकपालों की पूजा करे । फिर अंजलि में पुष्प लेकर निम्न मंत्र बोले "ॐ इन्द्राग्नियमनिर्ऋतिवरूणकुबेरेशाननागब्राह्मणो लोकपालाः सविनायकाः सक्षेत्रपालाः सुपूजिताः सन्तु सानुग्रहाः सन्तु तुष्टिदाः सन्तु, पुष्टिदाः सन्तु, मांगल्यदाः सन्तु, महोत्सवदाः सन्तु । " यह मंत्र बोलकर लोकपालो पर पुष्पारोपण करे। फिर पुष्पांजलि लेकर निम्न मंत्र बोले अस्मत्पूर्वजा गोत्र संभवा देवगतिगताः सुपूजिताः सन्तु सानुग्रहाः सन्तु तुष्टिदाः सन्तु पुष्टिदाः सन्तु मांगल्यदाः सन्तु महोत्सवदाः सन्तु ।" यह बोलकर परमात्मा के चरणों के आगे पुष्पांजलि अर्पण करे । पश्चात् पुनः पुष्पांजलि लेकर निम्न मंत्र बोले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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