Book Title: Jain Dharm Vishayak Prashnottara
Author(s): Atmaramji Maharaj, Kulchandravijay
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 3
________________ सिद्धांत महोदधि स्व. प. पू. आचार्यदेव श्री प्रेमसूरीश्वरजी महाराजा के शिष्य रत्न वैराग्य वारिधि प. पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय कुलचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा द्वारा लिखित संपादित एवं संकलित-साहित्य साधु-साध्वी भगवंत एवं ज्ञान भंडारों को भेंट ● श्री कल्प सूत्र अक्षर गमनिका (प्रताकार) प्राकृत संस्कृत. • श्री महानिशीथ सुत्र सटीप्पण (प्रताकार) प्राकृत संस्कृत श्री पंच कल्प भाष्य चूर्णि सटीप्पण (प्रताकार) प्राकृत संस्कृत. • दशाश्रुत स्कन्ध चूर्णि सटीप्पण (प्रताकार) प्राकृत संस्कृत. • श्राद्ध जीत कल्प (पुस्तकाकार) प्राकृत संस्कृत. ● नव्य यति जीत कर (पुस्तकाकार) प्राकृत संस्कृत • विशति विशिका सटीक (पुस्तकाकार) प्राकृत संस्कृत. • मार्गपरिशुद्धि सटीक (पुस्तकाकार) प्राकृत संस्कृत • सूत्रकृतांग भाग-१ अक्षर गमनका (पुस्तकाकार) प्राकृत संस्कृत सूत्रकृतांग भाग- २ अक्षर गमनका पुस्तकाकार) प्राकृत संस्कृत मुद्रणमा) ● आगमसार (पुस्तकाकार) • प्रकरणचतुष्टयम् (जीवावचारादि प्रकरण टीका (पताकार) ● संस्कृत शब्द रुपावली ( पुस्तकाकार ) ● संस्कृत सुलभ धातु रूप कोष भाग- १ पोकेट माईज • संस्कृत सुलभ धातु रुप कोष भाग - २ पॉकेट साईज ● संस्कृत सुलभ धातु रुप कोष भाग-३ पाकट साइज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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