Book Title: Jain Dharm Sar Sandesh
Author(s): Kashinath Upadhyay
Publisher: Radhaswami Satsang Byas

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Page 6
________________ समर्पण नाथ तिहारे नाम रौं, अघ छिन माँहि पलाय। ज्यों दिनकर परकाश तें, अन्धकार विनशाय॥ नाम लेत सब दुःख मिट जाय, तुम दर्शन देख्या प्रभु आय। तुम हो प्रभु देवन के देव, मैं तो करूँ चरण तव सेव॥ बृहज्जिनवाणी संग्रह, पृ. 177 Ankur Denim Put. Ltd. IX/644, Krishna Gali No. 1, Subhash Road, Gandhi Nagar, Delhi-110031 मान्यता पुस्तके तो आपने बहुत पढी ही chकन यह पुरतर, उन सभी अलग होगी पुस्तक के एक कण ने भी आपके मन को दुलिया तो आपके साप - मेरी कल्यादा हो जायेगा। (३८,5AAN) renomener

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