Book Title: Jain Dharm Prakash 1948 Pustak 064 Ank 07
Author(s): Jain Dharm Prasarak Sabha
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत्य--स्वराज्य का ध्येय ।। ॐ ( तर्ज-भगवान महावीर जो भारत में न आते, दुःखदर्द जमाने का कहो कौन मिटाते ! ) , - सच्चा स्वराज्य प्राप्ति का ही ध्येय बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीवाया। भूले थे उस अध्यात्म को जड़वाद बड़ा था, धर्म के स्थान पर अधर्म खड़ा था ॥ ऐसे तिमिर में ज्ञान का वह दीप प्रकटाया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥ सच्चा १॥ पू र जाहां देखो वहां यज्ञों की ही धूम मची थी, रक से रंजित यह पुण्य भूगि बनी थी। वन विश्वको संदेश अहिंसा का सुनाया,भगवान महावीरने गत्य तत्व दीखाया। ॥ सच्चा २॥ ४ करना के यज्ञ कहते थे यह साक्षि वेद की, बने थे टेकेदार देते पास स्वर्ग की। यह वेद अर्थ सत्य नहीं असत्य बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया॥ ॥ सच्चा ३ ॥ इसके सर्वे सर्वा वह थे इन्द्रभूति, थे अग्निभूति और वह वायुभूति । त् गिथ्यात्व हटा इनको दद्याधर्म बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥ ॥सचा ४॥ सब को प्राण प्रिय है सब सुख ही चाहते, अकाल मृत्यु और नहीं दुःन को चाहते। * सब जीव को जीने का ही अधिकार बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया॥ ॥ सचा ५॥ है फिर इन्द्रभूति सर्व प्रभु पास में आया, धर्म का सिद्धान्त बताइ इनको अपनाया। * प्रशुवीरने पटधर फिर अपना बनाया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥ ॥ सच्चा ६॥ MAT :7 *A *S*496*****85*** ( १४८ ) For Private And Personal Use Only

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