Book Title: Jain Dharm Prakash 1948 Pustak 064 Ank 07 Author(s): Jain Dharm Prasarak Sabha Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आत्म से परम आत्मका सिद्धान्त बताया, जड़वाद का अस्तित्व हटा अध्यात्म बड़ाया। जड़वाद में वह सुख नहीं दुःख बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥ ।। सच्चा ७ ॥ जड़वादका साम्राज्य-वह स्वराज्य नहीं है, अध्यात्म और सत्य अहिंसा भी नहीं है । जड़ व भौतिकता को परराज्य बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥ ॥ सचा ८ ॥ अड़वाद की उस जड़ में सदा रहती है हिंसा, अध्यात्म साथ में है वह सत्य अहिंसा ।। इस सिद्धान्त से हर आत्मको ऊंचा है उठाया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥ ।। सधा ९ ॥ राष्ट्र का स्वराज्य यह लौकिक स्वराज्य है, यह गैर-शेर व अशान्ति का साम्राज्य है। यह सत्य अहिंसा भी लौकिक कहाया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया || ॥ सभा १० ॥ सच्चा स्वराज्य है जहां अध्यात्म राज्य हो, आत्मा की पूर्ण शक्ति का विकास हो । सधा स्वराज्य आत्म का मोक्ष बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया || ।। सभा १९ ।। है आमा ! स्वराज्य की हो तुम को पिपासा, अध्यात्म में लयलीन बनो नजदी सब Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आशा । बाह्य आंतरशत्रु का यह शस्त्र बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥ ॥ मना १२ ।। HO सत्य स्वराज्य प्राप्ति का ही ध्येय बनाओ, सत्य श्रद्धा सत्य ज्ञान से मिथ्यात्व हटाओ ।। | निजरूप चिदानंद इसी में है सगाया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥ ॥ सधा १३ ॥ निजरूप को पहिचान कर पुद्गलको हटाओ, आत्माको परम आत्मा के योग्य बनाओ फिर स्व-राज्य राज दूर नहीं पास आया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया | ॥ सच्चा १४ ॥ 6 रचयिता -- राजमल भंडारी - आगर ( मालवा ) ( १.४% m For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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