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सत्य--स्वराज्य का ध्येय ।।
ॐ ( तर्ज-भगवान महावीर जो भारत में न आते, दुःखदर्द जमाने का कहो कौन मिटाते ! ) ,
- सच्चा स्वराज्य प्राप्ति का ही ध्येय बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीवाया।
भूले थे उस अध्यात्म को जड़वाद बड़ा था, धर्म के स्थान पर अधर्म खड़ा था ॥ ऐसे तिमिर में ज्ञान का वह दीप प्रकटाया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया
॥ सच्चा १॥ पू
र जाहां देखो वहां यज्ञों की ही धूम मची थी, रक से रंजित यह पुण्य भूगि बनी थी। वन विश्वको संदेश अहिंसा का सुनाया,भगवान महावीरने गत्य तत्व दीखाया।
॥ सच्चा २॥
४ करना के यज्ञ कहते थे यह साक्षि वेद की, बने थे टेकेदार देते पास स्वर्ग की। यह वेद अर्थ सत्य नहीं असत्य बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया॥
॥ सच्चा ३ ॥
इसके सर्वे सर्वा वह थे इन्द्रभूति, थे अग्निभूति और वह वायुभूति । त् गिथ्यात्व हटा इनको दद्याधर्म बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥
॥सचा ४॥
सब को प्राण प्रिय है सब सुख ही चाहते, अकाल मृत्यु और नहीं दुःन को चाहते। * सब जीव को जीने का ही अधिकार बताया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया॥
॥ सचा ५॥
है फिर इन्द्रभूति सर्व प्रभु पास में आया, धर्म का सिद्धान्त बताइ इनको अपनाया। * प्रशुवीरने पटधर फिर अपना बनाया, भगवान महावीरने सत्य तत्व दीखाया ॥
॥ सच्चा ६॥ MAT :7 *A *S*496*****85***
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