Book Title: Jain Bharati
Author(s): Shadilal Jain
Publisher: Adishwar Jain

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Page 4
________________ प्रस्तावना भगवान् महावीर केवल जैनो के लिये ही नहीं अपितु समस्त ससार के लिये वदनीय हैं। आज से 2500 वर्ष पूर्व भारत के इस महा मानव ने अहिंसा और सत्य के माध्यम से अनंत तथा स्थायी सुख और शान्ति प्राप्त करने का उपदेश दिया था जिस पर मनुष्य समाज प्राज भी आचरण करके इस भूतल को स्वर्गतुल्य बना सकता भगवान महावीर के 2500 वे निर्वाणाब्द' पर समस्त ससार के जैनो में एक विशेष धर्म-प्रेम, स्फूर्ति और कार्य-कुशलता देखने में आई ।। फलस्वरूप भारत के समस्त राज्यो मे प्रदेश समितियाँ गठित की गई जिनके प्रमुख समाज सेवी तथा प्रमुख राज्याधिकारी सदस्य बने । जिनका उद्देश्य था इस सुअवसर पर भगवान महावीर स्वामी के सदेश' को जन-जन तक पहुँचाना । अत: दिल्ली प्रदेश मे भी 2500 वी भगवान् महावीर निर्वाण समिति बनाई गई। ला० डिप्टीमल जी जैन इसके उपप्रधान बने । वह तन, मन और धन से इस सुकार्य मे लगे । अनेक योजनामो मे उनकी एक यह भी योजना थी कि भगवान महावीर के उच्चादर्शों तथा जैनो द्वारा प्रत्येक क्षेत्र मे भारतीय संस्कृति को संजोने की जानकारी एक छोटी से प्रासान पुस्तक के द्वारा साधारण मारतीय तक पहुचाई जाये। ला० डिप्टीमल जी के प्रादेशानुसार बडे परिश्रम से यह पुस्तक तैयार की गई है और निर्भयता से अपने अपद्व विचार इसमें दिये गये पाठक महोदय इसे पुस्तक का अवलोकन करके जान पायेगे

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