Book Title: Jain Agam me Darshan Author(s): Mangalpragyashreeji Samni Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 2
________________ 'प्रस्तुत आगम भगवान महावीर के दर्शन या तत्त्वविद्या का प्रतिनिधि सूत्र है। इसमें महावीर का व्यक्तित्व जितना प्रस्फुटित है, उतना अन्यत्र नहीं है। वाल्टर शुबिंग के अनुसार भगवती के अतिरिक्त और कोई भी दूसरा ग्रंथ नहीं है जिसमें महावीर का जीवन-चरीत्र, क्रियाकलाप इतनी प्रखरता से प्रकट हुआ हो। मोरिस विंटरनित्ज (Maurice Winternitz) का अभिमत भी इसी प्रकार का है। उनके अनुसार भगवान महावीर के जीवन, कार्य, उनका अपने शिष्यों के साथ एवं अपने सम्पर्क में आने वालों के साथ सम्बन्ध तथा महावीर के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का जैसा वर्णन भगवती में है वैसा अन्य किसी ग्रन्थ में नहीं है। प्रस्तुत आगम की विषय-वस्तु अत्यन्त व्यापक एवं महत्वपूर्ण है।' ___ 'प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध में आगम-साहित्य में प्रतिपादित तथ्यों का समीचीन विश्लेषण हुआ है। स्थूल से सूक्ष्म की ओर यह प्रगति का नियम है। इसलिए सूक्ष्म तत्त्व की शोध में उसकी चेतना का विकास होता रहे। आचार्य महाप्रज्ञ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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