Book Title: Hindi Jain Sahitya Parishilan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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सिंहावलोकन
२१३ परमानन्दविलास, प्रवचनसार, चिद्विलास वचनिका और चौबीसी पाठ; मारामल्लने चारुदत्तचरित्र , सप्तव्यसन चरित्र, दानकथा, शीलकथा,
और रात्रिभोजनकथा; गुलाबरायने शिखिरविलास , थानसिंहने सुबुद्धिप्रकाश ; नन्दलाल छावडाने मूलाचारकी वचनिका; मन्नालाल सागाकर ने चरित्रसारकी वचनिका, मनरङ्गलाल्ने चौबीसी पूजापाठ, नेमिचन्द्रिका, सप्तव्यसन चरित्र, सप्तऋषिपूजा, षट्कर्मोपदेश रत्नमाला, वरागचरित्र, विमलनाथपुराण, गिखिरविलास, सम्यक्त्वकौमुदी, आगमशतक और अनेक पूजा ग्रन्थ; चेतनविजयने लघुपिंगल, आत्मबोध और नाममाला; मेघराजने छन्दप्रकाश; उदयचन्दने छन्द प्रबन्ध; उत्तमचन्दने अलकार आशय भडारी, भमाकल्याणने अवह चरित्र और जम्बूकथा ज्ञानसागरने भाला पिगल, कामोद्दीपन, पूरवदेश वर्णन, चन्द चौपाई समालोचना और निहाल बावनी; मूलकचन्दने वैद्य-हुलास ; मेघने मेघविनोद और मेघमाला; गगारामने लोलिंब राजभाषा, सूरतप्रकाग और भावनिदान
चैनसुखदासने शतश्लोकीकी मापा टीका, रामचन्द्रने अवपदिशा शकुनावली; तत्वकुमारने रल परीक्षा गुरुविजयने कापरडा; कल्याणने गिरनार सिद्धाचल गजल, भक्ति विजयने भावनगर वर्णन गजल, मनरूपने मेड़ता वर्णन, पोरबन्दर और सोजात वर्णन, रघुपतिने जैनसार बावनी; निहाल्ने ब्रह्मवावनी, चेतनने अध्यात्म वाराखडी, सेवाराम शाहने चौवीसी पूजापाठ, यति कुगलचन्द्र गणिने जिनवाणी सार; हरजसरायने साधु गुणमाला
और देवाधिदेवस्तवन क्षमाकल्याण पाठकने साधु प्रतिक्रमण विधि और श्रावकप्रतिक्रमण विधि एव विजयकीर्त्तिने श्रेणिकचरित्रकी रचना की है।
विक्रमकी २० वीं शतीके आरम्भमे एवं ई० सन् की १९वीं शतीके अन्तमे प० सदासुखने रनकरण्डभावकाचारकी टीका, अर्थप्रकाशिका, समयसारकी टीका, नित्य पूजाकी टीका और अकलकाष्टककी टीका; भागचन्दने ज्ञानसूर्योदय, उपदेश सिद्धान्तरत्नसाला, अमितगतिश्रावकाचार टीका, प्रमाण परीक्षा टीका और नेमिनाथ पुराण, दौलतरामने

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