Book Title: Hindi Jain Sahitya Parishilan Part 02
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 241
________________ परिनिट २४३ नमन हुआ था। नो पिनारा नाम मपरानलाल और माताका नाग नागरणीदेवी मा। नान मंटिगगनकी परीक्षा उत्तीर्ण कर पसाउटेरॉकी परीक्षा उत्तीर्ण की भी। आप अच्छी सरकारी नाग परपर रिति । १९०४ दीगमेनकी निहली पली और मोटे माया सभामगा । मतमंदनायो थापने चैन जगाचाप्यारा मन का गमाच नमानी गन तो पासे होभी, irr भनिमित मिनी र भानना और बल्यती हो गी| Te: १०५ में पापने पारी नोकरीसे लागपत्र दे दिया और गन् १९५५ में मालपर मजन धारण दीजिनमित्र श्री पालनाटक मला पाप भाग विरचित धार अनूदित ७७ प्रजिना निभाना अनुगर निम्न प्रकार अपामनियनिक और धार्मिक १८, नैतिक ५, गरिमारिनार, भरणात्मक और ऐतिहासिक ६, गागोर, सितारण सादिल । प्राचारीकी निकोना गौरव निम्न कारण भगत की जा सकती है "जनधर्मके प्रति इतनी गहरी ला, उसके प्रमार और प्रभावनाके लिएनना मगित, समाजकी स्थितिम व्यधित होपर भारत के इस गिरंगे टम मिरसफ नृप और प्याकी अमल येदनाको यश किये रातदिन जिम एनना मुत्रमण किया हो, भारतम क्या कोई दूमरा म्पति मिलंगा" . एलपी मृगु नही १० फरवरी १९४२ में हुई।

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