Book Title: Hindi Jain Patrakarita Itihas evam Mulya Author(s): Sanjiv Bhanavat Publisher: Z_Shwetambar_Sthanakvasi_Jain_Sabha_Hirak_Jayanti_Granth_012052.pdf View full book textPage 5
________________ डॉ. संजीव भानावत लगे। "जैन प्रकाश" प्रारम्भ में अजमेर से पता था। बाद में यह सुरत से छपने लगा। "जैन प्रकाश" के आदि संपादक डॉ. धारसीभाई गुलाबचन्द संघाणी थे। इनके अतिरिक्त झवेरचन्दजादव कामदार, पं. बालमुकुन्द शर्मा, रतनलाल बथेलवाल, पं. दुखमोचनझा, दुर्गाप्रसाद जौहरी, सूरजमल लल्लूभाई जैन, त्रि.बी. हेमण्णी डायालालमणिलाल मेहता, हर्षचन्दमफरचन्द दोशी, नटवरलालकपूरचन्द शाह, गुलाबचन्दनानचन्द सेठ, रमणिकलाल तुरखिया, एवं जे. देसाई, रत्नकुमार जैन "रत्नेश", शान्तिलालवनमाली सेठ, आनन्दराज सुराणा, डॉ. ए.पी. पटेरिया, रामानन्द जैन आदि भी इसके सम्पादन से जुड़े रहे। वर्तमान में इसका प्रकाशन अजितराज सुराणा के सम्पादन में दिल्ली से हो रहा है। गुजराती "जैन प्रकाश" का प्रकाशन बम्बई से हो रहा है। सन् 1914 में बम्बई से मालवा दिगम्बर जैन प्रांतिक सभा का सचित्र मासिक मुख पत्र "जैन प्रभात" का प्रकाशन सूरजमल जैन के संपादन में हुआ। इसी वर्ष "जैन प्रदीप" के प्रकाशन के भी उल्लेख मिलते हैं। सन 1915 में राधावल्लभ जसोदिया के सम्पादन में "खंडेलवाल जैन हितैषी" निकाला। इसी वर्ष बम्बई से "जैन हितेच्छु" नामक त्रैमासिक पत्र का प्रकाशन हुआ। सन 1916 में हाथरस (उ.प्र.) से मिश्रीलाल सांगानी ने "जैन मार्तण्ड" नाम से हिन्दी मासिक प्रकाशित किया। अप्रैल 1917 को बम्बई से टेकचन्द सिंघी के संपादन में मासिक "जैनसमाज" का प्रकाशन हुआ। यह एक सुधारवादी पत्र था। जोधपुर से जून 1918 में ओसवाल यंगमेन्स सोसायटी ने "मारवाड़ और ओसवाल" नाम से मासिक पत्र प्रकाशित करना प्रारम्भ किया था। बाद में इसका नाम ओसवाल हो गया। ओसवाल जाति की उन्नति के लिए समर्पित इस पत्र ने स्वयं को तत्कालीन राजनैतिक एवं धार्मिक विवादों से दूर रखा। जैन धर्मावलम्बियों की एक प्रशाखा खण्डेलवालों का मुखपत्र "खण्डेलवाल जैन" गौतमपुरा (इन्दौर) से 1918 में प्रकाशित हुआ। इसी वर्ष इन्दौर से श्यामलाल पाण्डवीय के सम्पादन में जैनियों की एक पत्रिका "जीवदया" निकली। सन् 1918 में ही आगरा से श्री महेन्द्र के सम्पादन में मासिक "जैसवाल जैन", श्री वीर भवन, आगरा से मासिक" जैन पथ प्रदर्शक", श्री वीरभक्त के संपादन में कलकत्ता से मासिक "पद्मावती पुरवाल" तथा इटावा से मासिक "सत्योदय" का प्रकाशन हुआ। अप्रैल सन् 1902 में "जैन इतिहास, साहित्य, तत्त्व ज्ञान आदि विषयक" उद्देश्य को लेकर जैन साहित्य संशोधक समाज की ओर से मुनिराज श्री जिनविजय जी के संपादन में सचित्र त्रैमासिक पत्रिका "जैनसाहित्य संशोधक" का प्रकाशन पूना से हुआ। जैन धर्म, इतिहास, कला-संस्कृति तथा स्थापत्य आदि क्षेत्रों में शोध एवं अनुसंधान की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देने तथा आम पाठकों के समक्ष लाने का प्रयास "जैनसाहित्य संशोधक" ने किया। इस वर्ष प्रकाशित अन्य प्रमुख पत्र थे -- पूना सिटी से "महावीर", मंडीकटरा, सागर से मुन्नालालराधेलाल काव्यतीर्थ के संपादन में "गोलापूर्व जैन", सिवनी से कस्तूरचन्द वकील के संपादन में "परवार", दिल्ली से चाणसी गुलाबचन्द संघाणी के संपादन में "जैन जगत", नन्दबाई, इन्दौर से रतनलालबघेललाल जैन के सम्पादन में "जैन दिवाकर", दिल्ली से "जैन बन्धु" तथा सोलापुर ( महाराष्ट्र) से पं. गौरीलाल शास्त्री के संपादन में "जैन सिद्धान्त"। मई 1921 में सुरत से मासिक "जैन महिलादर्श" का प्रकाशन भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला परिषद की ओर से श्रीमती पंडिताचन्दाबाई, आरा के संपादन में किया गया। जैन समाज की नारियों में सामाजिक चेतना के जागरण और धार्मिक भावों के रफुरण में इस पत्र की उल्लेखनीय भूमिका रही। नारी जाति के मनोबल को बनाये रखने में "जैन महिलादर्श" का विशेष सहयोग रहा। पं. चन्दाबाई 52वर्ष तक इस पत्र का सपादन करती रहीं। कालान्तर में इसका प्रकाशन स्थगित हो गया किन्तु सन 1988 में महावीर जयन्ती के अवसर पर इसका 86 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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