Book Title: Hindi Jain Patrakarita Itihas evam Mulya
Author(s): Sanjiv Bhanavat
Publisher: Z_Shwetambar_Sthanakvasi_Jain_Sabha_Hirak_Jayanti_Granth_012052.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ डॉ. संजीव भानावत प्रयासों से आज न सिर्फ जैन साहित्य वरन हिन्दी साहित्य भी समृद्ध हुआ है। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि जैन पत्रकारिता की यह गैर व्यावसायिक धारा अविच्छिन्न रूप से व्यावसायिक पत्रकारिता के समानान्तर चली आ रही है जो अनेक बाधाओं व संकटों के बावजूद भी अपनी आन्तरिक तेजस्विता के कारण सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, साहित्यिक तथा कला एवं पुरातत्त्व प्रकाशन हो चुका है। इन पत्रों की सामग्री का विवेचन-विश्लेषण इस बात का जीवन्त प्रमाण है कि गैर व्यावसायिक, धार्मिक तथा लोक सेवापरक पत्रकारिता में जैन पत्रकारिता का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आधुनिक भारत के सांस्कृतिक इतिहास लेखन में जैन पत्रकारिता एक प्रभावी, प्रामाणिक और विश्वसनीय स्रोत है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। #C-235 ए, दयानन्द मार्ग, तिलक नगर, जयपुर-302004 96 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15