Book Title: Hindi Jain Patrakarita Itihas evam Mulya Author(s): Sanjiv Bhanavat Publisher: Z_Shwetambar_Sthanakvasi_Jain_Sabha_Hirak_Jayanti_Granth_012052.pdf View full book textPage 9
________________ डॉ. संजीव भानावत रहा है। इस पत्र के संपादन से रिषभदास रांका, जमनालाल जैन, अगरचन्द नाहटा, धीरजलालधनजीभाई शाह, शंकर जैन, रतन पहाडी, रतनलाल जोशी आदि जुड़े रहे। "जैन जगत" सामाजिक चेतना का प्रमुख पत्र है। श्री वीर प्रेस, जयपुर पं. चैनसुखदास न्यायतीर्थ एवं भंवरलाल न्यायतीर्थ के संपादन में पाक्षिक "वीरवाणी" का प्रकाशन अप्रैल 1947 में हुआ। वर्तमान में इसका प्रकाशन भंवरलालजैन न्यायतीर्थ तथा डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल के संपादन में हो रहा है। श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, श्री महावीरजी (जयपुर स्टेट) के सचित्र पाक्षिक मुखपत्र "महावीर संदेश" 25 मई 1947 से प्रारम्भ हुआ। धार्मिक पत्र होते हुए भी यह मानव कल्याण के प्रति समर्पित था। 15 अगस्त 1947 को सागर से पं. पन्नालाल साहित्याचार्य के संपादन में मासिक "जैन प्रकाश" का प्रकाशन हुआ। भारत की स्वाधीनता के साथ हिन्दी जैन पत्रकारिता के दूसरे युग का इतिहास पूरा हो जाता है। हिन्दी जैन पत्रकारिता के प्रथम युग में हम जिस सामाजिक चेतना के दर्शन करते हैं वह अत्यन्त प्रखरता के साथ दूसरे युग में उभरती है। वृद्ध-विवाह, बाल-विवाह, कन्याविकय आदि कुरीतियों का तीखा विरोध इस युग की विशेषता है। यह काल-खण्ड जैन पत्रकारिता के युवावस्था का काल माना जा सकता है यह वह समय था जब देश में राजनैतिक आन्दोलन पूरे जोर पर था। सर्वत्र पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की जा रही थी। ऐसे कठिन समय में जैन पत्रकारिता ने धार्मिक-सामाजिक सुधारों के साथ-साथ गांधीजी की अहिंसात्मक लड़ाई को अपना नैतिक एवं रचनात्मक समर्थन दिया। तृतीय युग (सन् 1948 से आज तक ) जैन पत्रकारिता का तीसरा युग सन् 1948 से आज तक माना जा सकता है। इस काल में देश राजनीतिक दृष्टि से स्वतन्त्र था अब हमें अपने स्वप्नों का भारत बनाना था। नव निर्माण के इस महायज्ञ में पत्र-पत्रिकाओं ने भी हिस्सा बँटाया। इस युग के प्रमुख पत्र इस प्रकार हैं - 31 जनवरी 1948 में कलकत्ता से पुरातत्त्व विशेषज्ञ मुनिश्री कांतिसागर के संपादन में "नव निर्माण", आगरा से हजारीमल जैन के संपादन में "पंकज", जोधपुर से साप्ताहिक "अहिंसा" कलकत्ता से साप्ताहिक "जनपथ" आदि इस युग के कुछ प्रारम्भिक प्रमुख पत्र थे। जनवरी 1949 में हिंसा के विरुद्ध आवाज बुलन्द करने वाला "हिंसा विरोध" का प्रकाशन अहमदाबाद से हुआ। भारतीय ज्ञानपीठ, काशी ने 9 जुलाई 1948 को मासिक "ज्ञानोदय" का प्रकाशन कलकत्ता- दिल्ली से क्रमशः किया प्रारम्भ में यह पत्रिका भ्रमण संस्कृति की प्रमुख पत्रिका थी। लगभग चार वर्षों तक "ज्ञानोदय" का स्वरुप जैन वाङ्मय के शोध अनुसंधान पर विशेष केन्द्रित रहा। नवम्बर 1949 में ही अ. भा. श्री शान्तिवीर दि. जैन सिद्धान्त संरक्षिणी सभा के साप्ताहिक मुखपत्र "जैन दर्शन" का प्रकाशन शुरू हुआ। I - जनवरी 1950 में अलीगंज (एटा) से कामताप्रसाद जैन के संपादन में "अहिंसा-वाणी" का प्रकाशन हुआ जनवरी में ही सैलाना (म.प्र.) से मासिक "सम्यक् दर्शन" का प्रकाशन रतनलाल दोशी के संपादन में हुआ। "जिनवाणी" के मई 1950 के अंक से कोटा से दैनिक "निर्भीक " के प्रकाशन की सूचना मिलती है। सन् 1951 में श्री महावीरजी में स्व. कृष्णाबाई ने श्री दि. जैन मुमुक्षु महिलाश्रम के मुखपत्र "महिला जागरण" की स्थापना की। सन् 1952 में स्व. बाबू पद्मसिंह जैन ने जोधपुर में "तरुण जैन" नाम से साप्ताहिक पत्र प्रारम्भ किया। यह पत्र अखिल भारतवर्षीय श्वे. स्था. जैन समाज का साप्ताहिक मुखपत्र है इसी वर्ष जयपुर से इन्द्रलाल शास्त्री ने पाक्षिक "अहिंसा" का प्रकाशन किया। सन् 1952 में निम्बाहेडा से स्व. श्रीमद्विजययतीन्द्र सूरीश्वर जी की प्रेरणा एवं भावना से मासिक "शाश्वत धर्म" का प्रकाशन हुआ। वर्तमान में 90 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org/Page Navigation
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