Book Title: Hemchandracharya no Deshi Shabdasangraha Ek Parichaya
Author(s): Shantibhai Acharya
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ सोंपी दीधुं. २१ वर्षनी उमरना सोमचन्द्र हवे आचार्य हेमचन्द्रसूरि बन्या. आ महोत्सवमां आटली नानी उमरमां आचार्यपदने शोभावता पोताना पुत्रने मातापाहिनी आंखमां हर्षाश्रु साथे अने पोते पोतानी आंखना रतनने धर्मशासनने सोंपवाना वर्षो पहेलानां पोताना निर्णयना आत्मसन्तोष साथे, मौक्तिक शा बिन्दुओना थरमांथी धुंधळो धुंधळो जोइ रही हती. माताना मुखेथी शब्दो सर्या, 'आचार्य सूरिजी, आ श्राविकाने आप आपना जैन शासनमा समावी लो ! अने हेमचन्द्राचार्ये पाहिनीने साध्वीओना वर्गमां महत्तरापदे स्थाप्यां. ___ स्तम्भतीर्थमां रह्या रह्या हेमचन्द्राचार्ये अणहिलपुर पाटणनी कीर्तिगाथा सांभळी हती. पाटणमां ओ काळे सोलंकीकुळनो प्रतापी राजवी सिद्धराज जयसिंह राज्यकर्ता हतो. आ राजवीना समयमां पाटण राजकीय, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक वगेरे प्रवृत्तिओथी धमधमतुं हतुं अने तेनी सौरभ चोमेर फेलायेली हती. पाटणनो आ सुवर्णयुग चालतो हतो. आवा समयमां हेमचन्द्राचार्य ज्यारे विहार करता आवीने रह्या हशे त्यारे तेमने स्तम्भतीर्थमां सांभळेली पाटणनी यशोगाथा पाटणने अनुभवे जोईने स्वल्प जणाइ हशे. आचार्य हेमचन्द्र पाटणमां क्यारे आवीने स्थिर थया तेनी कोई अधिकृत तारीख नोंधायेली मळती नथी. आ माटे विविध सन्दर्भो पर आधार राखीने ओ तवारीखने अटकळे ज स्थापवी पडे छे, तेओना पाटण आववा माटेना अने त्यां वस्या होवाना विविध सन्दर्भो जोवा मळे छे, तेमांना केटलाक नीचे मुजब छे. १. स्तम्भतीर्थ हता त्यारे पाटणनी कीर्तिगाथा सांभळीने तेनाथी आकर्षाईने आचार्य आवीने स्थिर थया होय. २. पाटणनी राजसभामां विद्वानोना शास्त्रार्थ थता ते जाणीने आवा विद्याजगतमां बेसवानी तेमने अभिलाषा थई होय. ३. डॉ. ब्युलरना जणाव्या मुजब प्रभावक चरित्रना ओक आडकतरा उल्लेखथी कुमुदचन्द्र अने पाटणना जैनाचार्य देवसूरिना शास्त्रार्थ प्रसङ्गे आचार्यश्रीनी हाजरी सूचित थवी. ४. साहित्यप्रिय राजवी सिद्धराजे आचार्यनी विद्वत्तानी कीर्ति सांभळीने तेमने राजसभाओमा आववा निमंत्र्या होय.

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21