Book Title: Hemchandracharya no Deshi Shabdasangraha Ek Parichaya
Author(s): Shantibhai Acharya
Publisher: ZZ_Anusandhan
View full book text
________________
अनुसन्धान- ५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - १
स्थानोने निश्चित करवामां मददरूप थई शके. आनुं उदाहरण आपतां पण्डितजी जणावे छे के गाथा २१०, ५४२ अने ७७२ वडे सातवाहनमां बीजां नामो अनुक्रमे कुंतल, पूस अने हाल होवानुं जाणवा मळे छे. सम्पादनमां आ प्रकारनां बीजां अनेक उदाहरणो अपायां छे.
१००
आम, आवो अभ्यास सामाजिक क्षेत्रनी माहितीमां पण केटलो बधो उपयोगी नीवडी शके तेनां अनेक दृष्टान्तो पण्डितजीए आप्यां छे. आमांना केटलांक जोइओ :
वहुमास
नवी परणेली स्त्रीनो रतिक्रीडापरायण पति जे मासमां घरनी बहार न जाय ते महिनो.
जेमां संतावानुं होय छे तेवी एक रमत.
ओलुंकी उड्डियाहरण - ऊंचो कूदको मारीने छरीनी धार पर राखवामां आवेला फूलने पगनी आंगळियोथी जेमां उपाडी लेवामां आवे तेवुं ओक नृत्य.
केटलाक रिवाजो
गाथा १४५ थी स्त्रीना शरीरने सूतरना दोरा वडे मापीने ते दोराने दिशाओमां फेंकी देवामां आवे छे ओवो उल्लेख छे. कोइक स्थाने आवो कोइ आचार प्रचलित होवानो निर्देश सूचित थतो होय तेम सम्पादक माने छे. धम्मअ गाथा ४६२मां चण्डीदेवीने जेनुं बलिदान आपवामां आवे छे ते पुरुष सेवा अर्थमां आ शब्द वपरायो छे.
हिंचिअ के हिंविअ - ओक पग ऊंचो करीने बाळक जे क्रियामां कूदे छे ते क्रिया. सम्पादक जणावे छे के वर्तमानमां आ क्रिया लंगडी नामे ओळखाय छे.
गाथा ३२मांना आ शब्दथी महामहिनानी पूनममां दिवसे शेरडीने दातण करता होय तेम लोको चूसे छे तेवा रिवाजनुं सूचन मळे छे.
आ रीते आ सङ्ग्रहमां अनेक आवा शब्दो मळे छे जे द्वारा उत्सवो, रिवाजो, सामाजिक प्रथाओ, विविध रमतो वगेरेनी जाणकारी प्राप्त थई शके.
इक्षुकदन्तपवनक्षण

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21