Book Title: Hemchandracharya no Deshi Shabdasangraha Ek Parichaya
Author(s): Shantibhai Acharya
Publisher: ZZ_Anusandhan
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डिसेम्बर २०१०
कोलकत्ताथी प्रकाशित ओम त्रण आवृत्तिओ बहार पडी चूकी छे. आमां कोलकतानी आवृत्तिमां उपयोगी पाठान्तरो लेवाया होवानुं जणाय छे, परन्तु मुम्बइनी बन्ने आवृत्तिओ तो आवो विचार कर्या विना ज पाठान्तरोथी भरपूर थयेली छे. आ सम्पादनमां उपयोगी पाठान्तरो ज लेवायां छे. आनी पुष्टिमां उदाहरण आपतां, पण्डितजी जणावे छे के आ त्रणे आवृत्तिमां गाथा ४९३ मां 'बालमयकाण्डम्' पाठ छपायो छे. आनो उदाहरणगाथाथी 'दडाने गूंथे छे' तेवो अर्थ बेसे छे. परन्तु 'काण्डम् 'नो दडो अर्थ क्यांये थतो होवानुं जाण्युं नथी. पछीथी झीणवटथी आ अंगे तपास चलावतां, मुम्बइनी पूनावाळी आवृत्तिमां ‘काण्डुकम्’ पाठ जोवामां आव्यो. आनुं समर्थन करतो 'कण्डुक’'पाठ पाटणवाळी आवृत्तिमां मळी आवतां, सम्पादके अहीं 'दडा'ना अर्थनो 'कन्दुक' पाठ स्वीकार्यो छे. सम्पादकनो आ उल्लेख पाछळ अटलो ज हेतु रहेलो छेके आ कार्य अत्यन्त कठिन अने धीरज मांगी लेतुं होवाथी आवां सम्पादनोमां झीणवट भरी चोकसाई अत्यन्त जरूरी बनी रहे छे.
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आ सम्पादननी बीजी केटलीक विशेषताओमां, गुजराती भाषामां अनुवाद अपायो छे ते पहेली विशेषता आ सम्पादनमां पहेली ज वार उदाहरणगाथाओ गुजरातीमां अनूदित थइने प्रसिद्ध थयेली छे. आनी बीजी विशेषता ओ छे के अहीं जे तुलनात्मक टिप्पणो अपायां छे ते पण पहेलवहेलां ज प्रकाशित थाय छे. आ उपरान्त ग्रन्थनी पाछळ सम्पादनमां व्युत्पत्तिनी नोंधो आपवामां आवी छे. आ नोंधोमां आपेला घणा शब्दो विविध कोशोमां नोंधायेला मळी आवे छे. आ जोतां देश्य शब्दोनो घणो मोटो भाग व्युत्पन्न शब्दो जेवो जणाय छे. सम्पादक पण्डितजीने लागे छे के विद्वानोओ आ अंगे विचार करवो घटे.
आनी साथोसाथ अहीं उपयोगमां लीधेला ग्रन्थोनां नामो अने तेवां पुस्तकोना संकेतो आपवामां आव्यां छे.
ग्रन्थना अभ्यासनी उपयोगिता :
अहीं सङ्गृहित थयेला देशीशब्दो विविध भाषाओना जूना वपराशना शब्दोनी जाण करावशे, जेनाथी शब्दभंडोळमांना केटलाक शब्दोना अर्थ समजवामां मदद मळशे.
मूळगाथाओ अने वृत्तिमां आवता केटलाक उल्लेखो केटलाक भौगोलिक

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