Book Title: Hemchandracharya no Deshi Shabdasangraha Ek Parichaya Author(s): Shantibhai Acharya Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 7
________________ डिसेम्बर २०१० देशीशब्दसङ्ग्रह : विद्वान सम्पादकश्री प्रस्तावनामां प्रथम तो पुस्तकना शीर्षकनी प्रामाणिकता अंगे शङ्का उठावीने नाम अंगेनी दलील करता जणावे छे के, १. आ ग्रन्थनी गाथा ७८३ ग्रन्थनुं नाम 'देशीशब्दसङ्ग्रह' होवानुं जणावे छे. आ पुस्तकना पृष्ठ ४३६ पर आ गाथानी चर्चा करतां, पण्डितजी जणावे छे के ‘सिद्धहेम शब्दानुशासन' नामे आ ग्रन्थ 'मुनिश्री हेमचन्द्राचार्ये, राजा सिद्धराज सोलंकीनी प्रेरणाथी लख्यो छे. (जुओ, 'पूरक टिप्पणो' पृ. ३) व्याकरणग्रन्थना आ नामना आरम्भना सिद्धहेम शब्दमां पूर्वार्ध सिद्ध-शब्द सोलंकी राजा सिद्धराज माटे अने पछीनो 'हेम' शब्द लेखके पोताना नाम (हेमचन्द्राचार्य)नी टूंकी संज्ञारूप वापर्यो छे. लेखक आ वात आठमा अध्यायना अन्ते आपेला पुष्पिका श्लोकमां स्पष्टपणे जणावे छे. ८७ पण्डितजीओ संस्कृत - प्राकृत- अपभ्रंशना अनेक प्रकाशनो आप्यां छे तेमां हेमचन्द्रना आ ‘देशीशब्दसङ्ग्रह' नुं कार्य शिरमोर समान गणावी शकाय तेवुं छे. पण्डितजी आ सम्पादनकार्य करवामां जे शारीरिक-मानसिक श्रम उठावता हता ते जोइने आ लेखके तेमना चरणोमां माथुं नमाव्युं हतुं. ओ वखते ओक आंख तो लगभग गयेली हती, आथी बाकीनी ओक आंखना सहारे ज थयेलुं आ कार्य छे ! सिद्धहेमनी रचनामां सत्ता अने विद्वत्ताना सुमेऴ वडे लोकहित सधायुं छे तेम आ कार्यमां पण बन्युं छे. गुजरात युनिवर्सिटीना तत्कालीन कुलपति स्व. ईश्वरभाई पटेलनी लोकहितनी खेवना अने दीर्घ दृष्टि विद्वत्तानो सुमेऴ साध्यो न होत तो गुजरात आ महामूली भेटथी वंचित रह्युं होत. हवे आपणे पण्डितजीओ करेला आ कष्टसाध्य कार्यनी थोडी विगतमां उतरीओ. कृतिनुं नाम : आचार्य हेमचन्द्राचार्यनी आ कृतिना, रयणावली, देशीसद्दसडगहो (देशी शब्दसङ्ग्रह) अने देशीनाममाला अवां त्रण नामो मळे छे. नाम पर प्रकाश पाडती ग्रन्थनी ७८३मी गाथा नीचे मुजब (पृ. ४३६) छे :Page Navigation
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