Book Title: Hemchandracharya no Deshi Shabdasangraha Ek Parichaya
Author(s): Shantibhai Acharya
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 13
________________ डिसेम्बर २०१० उच्चारणोमां अमुक शुद्ध अने बीजां अशुद्ध से मान्यता भूल भरेली छे. आनुं दृष्टान्त आपीने जणावे छे के केटलाक लोको 'गयो हतो' ओम बोले, केटलाक 'गयो तो' अने बीजा केटलाक 'ग्यो तो' बोले, ते सहु गुजराती बोलनारा ज छे. आमां ओक उच्चारण - शुद्ध अने बीजुं भ्रष्ट तेवुं नथी. तेमां जुदापणुं जरूर छे. तेओ उमेरे छे के 'सिद्धहेम'ना अध्यायमां आपेला आ अपभ्रंश भाषाना व्याकरणथी अगियारमा - बारमा - सैकानी लोकमां प्रचलित भाषा पर प्रकाश पाडे छे. वळी ओ भाषानुं स्वरूप योग्य रीते समजाय ते माटे आचार्य श्री ओ पद्यमां अनेक उदाहरणगाथाओ आपी छे. आ उदाहरणोमां मूळ विषे जाणकारी प्राप्त थती नथी, परन्तु आ पद्योमांनां केटलांक परम्पराथी चाल्या आवतां अने केटलांक लोकसाहित्यमा प्रचलित होय तेवुं बनी शके. उपरान्त सङ्ग्राहकना पोते रचेलां पण केटलांक होय तेवा सम्भवने नकारी शकाय नहीं. ९३ हेमचन्द्राचार्यना आ व्याकरण पूर्वे रचायेलां बीजां अनेक व्याकरणो, गमे ते कारणोसर देश्य शब्दोनी व्युत्पत्ति दर्शावतां नथी. हेमचन्द्राचार्य पण आ परम्पराने अनुसर्या होवानुं पण्डितजी जणावे छे. सङ्ग्रहकार आचार्यश्री अनादिकाळथी चाली आवती भाषाने देशी प्राकृतभाषा तरीके ओळखावीने उमेरे छे के आ देशी प्राकृतभाषाना शब्दोना मूळधातुअंश अने प्रत्ययअंशने सहेलाईथी ओळखी शकाता होता नथी. आ वातने समजाववा माटे सम्पादक पण्डितजी, पोताना नानपणमां सणोसरामां सांभळेला दुदण, हिलोला अने घोहो ओ त्रण शब्दो दृष्टान्तरूपे नोंधे छे. आमांना प्रथम शब्दनो अर्थ ‘ऋतुवगरनां वादळां थयेलो, न गमे तेवो दिवस', बीजानो 'आनन्द के मजा' अर्थ अने त्रीजानो 'हजी पूरुं न देखाय तेवुं झांखुं सवार' आवा आ त्रणेना अर्थो छे. पछी पण्डितजीओ आ त्रणे शब्दोनां मूळ अनुक्रमे दुर्दिन, हल्लोल अने गोस शब्दोमां जोयां. अहीं कहेवा दो के हालारमां अमे आजे पण 'हिलोळा' शब्द आ अर्थमां वापरीओ छीओ. सम्पादक जणावे छे के आ सङ्ग्रहना शब्दो पण आ प्रकारना अतिशय जूना होइ, विरूप बनी गया छे. आवा बधा शब्दो देशी शब्दो कहेवाया. सम्पादकश्रीना जणाववा मुजब संस्कृत अने प्राकृत साहित्यनी जेम

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