Book Title: Hemchandracharya no Deshi Shabdasangraha Ek Parichaya
Author(s): Shantibhai Acharya
Publisher: ZZ_Anusandhan
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९६
चोथो
पांचमो
छठ्ठो
सामो
आठमो
अनुसन्धान- ५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - १
आदिमां ट वाळा शब्दो
आदिमां त वाळा शब्दो
आदिमां प वाळा शब्दो
आदिमां र, ल, व वाळा शब्दो
आदिमां स अने ह वाळा शब्दो
३४९-३९९
४००-४६२
४६३-६१०
६११-७०६
७०७-७८२
वळी, गाथा ३मां आचार्य श्रीओ जणाव्युं छेके सिद्धहेमव्याकरणमां सिद्ध नथी कर्या तेवा अने संस्कृत कोशोमां प्रसिद्ध न होय तेवा शब्दो आ सङ्ग्रहमां स्वीकारेल छे. आ उपरान्त संस्कृत कोशोमां न होय, परन्तु गौणी, लक्षणा वगेरे शक्ति द्वारा, अर्थदृष्टि साधी शकाय तेवा शब्दो आ सङ्ग्रहमां नथी तेनुं सहेज सूचन मळे छे.
आ आठ वर्गोमां सङ्ग्रहकारे कक्कावारी मुजब अनुक्रमे शब्दोनी गोठवणी करी छे. उ.त. प्राकृतमां अ थी ओ सुधीना आठ स्वरोनो वपराश छे तेथी स्वरोना प्रथम वर्गमां आ क्रमे शब्दो आप्या छे. तेवी ज रीते बधा वर्गो विषे कक्कावारी प्रमाणेनो क्रम आप्यो छे. आवा क्रममां पण शब्दोमां स्वरनी संख्यानी दृष्टिअ पेटाक्रमनी गोठवणी करी छे. देश्य प्राकृतमां अक स्वरवाळा शब्दो व्यवहारमां नहीं होवाथी, आमां बे स्वरथी मांडीने छ स्वरवाळा शब्दोनो क्रम आप्यो छे. अर्थना दृष्टिकोणथी जोतां, प्रथम अकार्थी शब्दोनो व्यवहार समजाववा माटे जे ते शब्दनो जेमां उपयोग थयो होय तेवी उदाहरणगाथा आपी छे. अनेकार्थी शब्दोनी आवी गाथाओ आपवाथी वधारे गूंचवण थवानी तेम मानीने ते बाबतमां उदाहरणगाथाओ आपवामां आवी नथी तेवुं सङ्ग्रहकारनुं कहेवुं छे. आवा शब्दोनी बाबतमां प्रवर्तता विविध मतोना आचार्य श्री अनेक उल्लेखो कर्या छे अने ग्राह्य लागे तेवा मतोनो आदर पण कर्यो छे. ग्रन्थना सम्पादक अने सम्पादन :
आ ग्रन्थना सम्पादक स्व. बेचरदास जीवराज दोशी, परन्तु आ नाम करतां विद्याजगतमां पण्डित बेचरदास के मात्र पण्डितजी नाम विशेष जाणीतुं छे, आ ग्रन्थ प्रसिद्ध थयो ई.स. १८७४मां. तेमणे पोतानी सही 'बेचरदास' अटली करीने ता. १६ - २ - ७५ना रोज आ लखनारने भेट मोकली आप्यो हतो

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