Book Title: Gyansara
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Chintamani Parshwanath Jain Shwetambar Tirth

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Page 12
________________ 2 2 2 m x 2 w 2 १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०. ३१. चौदह गुणस्थानक नयविचार ज्ञपरिज्ञा - प्रत्याख्यानपरिज्ञा पंचास्तिकाय कर्मस्वरुप जिनकल्प - स्थविरकल्प उपसर्ग - परिसह पाँच शरीर बीस स्थानक तप उपशम श्रेणी चौदह पूर्व पुद्गल परावर्तकाल कारणवाद चौदह राजलोक यतिधर्म सामाचारी गोचरी के ४२ दोष चार निक्षेप चार अनुयोग ब्रह्म अध्ययन पैंतालीस आगम तेजोलेश्या ५२६ ५३२ ५३९ ५४० ५४५ ५४७ ५५३ ५५५ ५५६ ५५९ ५६५ ५६६ ५६९ ५७१ ५७३ ५७४ ५७५ ५७८ ५८१ ५८२ ५८३ ५८५

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