Book Title: Gyansara
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Chintamani Parshwanath Jain Shwetambar Tirth

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Page 11
________________ ३०९ सर्वसमृद्धि कर्मविपाक-चिंतन भवोद्वेग लोकसंज्ञात्याग शास्त्र परिग्रहत्याग अनुभव ३२४ ३४ ३६१ ३८० योग ३९८ नियाग ४१६ ४२८ ४४४ ४५७ भावपूजा ध्यान तप सर्वनयाश्रय विषयक्रम निर्देश उपसंहार ४७४ ४८३ ४९० ५०४ ५०६ ५०७ ५११ ॐ 3 ज्ञानसार-परिशिष्ट कृष्णपक्ष-शुक्लपक्ष ग्रन्थिभेद अध्यात्मादि योग चतुर्विध सदनुष्ठान ध्यान धर्मसंन्यास-योगसंन्यास समाधि पांच आचार आयोजिकाकरण, समुद्घात, योगनिरोध ) ii १२२

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