Book Title: Gita Darshan Part 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 402
________________ ॐ गीता दर्शन भाग-26 ही हैं; कल कर लेंगे, परसों कर लेंगे। पोस्टपोनमेंट करते जाते हैं। नींद आ जाती है। आ ही जाएगी। ताकत भी तो बचनी चाहिए साहस का मतलब है, जो ठीक लगे, उसे अभी और आज और थोड़ी-बहुत। लास्ट आइटम समझा हुआ है ध्यान को! जब सब यहीं करना शुरू कर देना, क्योंकि कल का कोई भी भरोसा नहीं है। कर चुके, सब तरह की बेवकूफियां निपटा चुके-लड़ चुके, कल आएगा भी, इसका भी कुछ पक्का नहीं है। और साहस का झगड़ चुके, क्रोध कर चुके; प्रेम-घृणा, मित्रता-शत्रुता-सब कर मतलब इतना ही नहीं होता है कि अंधेरे में आप चले जाते हैं, तो चुके, कौड़ी-कौड़ी पर सब गंवा चुके। जब कुछ भी नहीं बचता बड़े साहसी हैं। साहस का मतलब यह भी नहीं होता है कि किसी करने को, रद्दी में दो पैसे का खरीदा हुआ अखबार भी दिन में दस से जूझ जाते हैं, लड़ जाते हैं, तो बड़े साहसी हैं। साहस का गहरा | | दफे चढ़ चुके। रेडियो का नाब कई दफा खोल चुके, बंद कर चुके। आध्यात्मिक अर्थ होता है, अज्ञात में छलांग, अननोन में उतर जाने | वही बकवास पत्नी से, बेटे से, जो हजार दफा हो चुकी है, कर का साहस। चुके। जब कुछ भी नहीं बचता है करने को, तब एक आदमी जो जाना-माना है, उसमें तो हम बड़े मजे से चले जाते हैं। | सोचता है कि चलो, अब ध्यान कर लें। तब वह आंख बंद करके अज्ञात, अननोन में नहीं जा पाते। और ध्यान रहे, परमात्मा अज्ञात | बैठ जाता है! है। और ध्यान रहे, आत्मा बिलकुल अज्ञात है, अननोन है। इतनी इंपोटेंस से, इतने शक्ति-दौर्बल्य से कभी ध्यान नहीं होने अनजान मार्ग है। अनजान राह है। अपरिचित सागर है। नक्शा पास वाला है। भीतर आप नहीं जाएंगे, नींद में चले जाएंगे। शक्ति में नहीं। अकेले जाना है। साथ कोई जा नहीं सकता। | चाहिए भीतर की यात्रा के लिए भी। इसलिए आत्म-ज्ञान की तरफ - ध्यान रहे, साहस का यह भी मतलब है, दि करेज टु बी अलोन, | | जाने वाले व्यक्ति को समझना चाहिए, एक-एक कण शक्ति का अकेले होने की हिम्मत। क्योंकि बाहर तो हम सबके साथ हो सकते मूल्य चुका रहे हैं आप, और बहुत महंगा मूल्य चुका रहे हैं। हैं, भीतर हमें अकेला ही होना पड़ेगा। जब एक आदमी किसी पर क्रोध से भरकर आग से भर जाता अगर इतना साहस नहीं है अकेले होने का, तो आप कभी भी है, तब उसे पता नहीं कि वह क्या गंवा रहा है! उसे कुछ भी पता आत्म-ज्ञान को उपलब्ध न हो सकेंगे। क्योंकि आत्म-ज्ञान में | नहीं कि वह क्या खो रहा है! इतनी शक्ति पर, जिसमें उसने सिर्फ कंपनी, साथी-संगी नहीं हो सकते। अकेले ही होना पड़ेगा। जो चार गालियां फेंकी, इतनी शक्ति को लेकर तो वह गहरे ध्यान में , आदमी कहता है कि हम तो अकेले न हो सकेंगे, कोई न कोई साथ | | कूद सकता था। चाहिए, वह सारी दुनिया की यात्रा कर सकता है, चांद पर भी जा | | एक आदमी ताश खेलकर क्या गंवा रहा है, उसे पता नहीं। एक सकता है, कल मंगल पर भी चला जाएगा, लेकिन अपने भीतर | आदमी शतरंज के घोड़ों पर, हाथियों पर लगा हुआ है। वह क्या नहीं जा सकेगा। क्योंकि वहां अकेले ही जाया जा सकता है, दूसरे गंवा रहा है, उसे पता नहीं। एक आदमी सिगरेट पीकर धुआं के साथ का कोई उपाय नहीं है। साहस का यही अर्थ है। निकाल रहा है बाहर-भीतर। वह क्या गंवा रहा है, उसे पता नहीं। __ और तीसरी बात। जो लोग जिंदगी की क्षुद्रतम, अति क्षुद्रतम इतनी शक्ति से तो भीतर की यात्रा हो सकती थी। बातों में ऊर्जा को गंवाते रहते हैं, वे कभी भी आत्म-ज्ञान को | और ध्यान रहे, बूंद-बूंद चुककर सागर चुक जाते हैं। और उपलब्ध न हो सकेंगे। पहला सूत्र, संकल्प; दूसरा सूत्र, साहस; | | आदमी के पास, इस शरीर के कारण, सीमित शक्ति है। जीवन और तीसरा सूत्र, संयम। बहुत जल्दी रिक्त हो जाता है। जो लोग जीवन की ऊर्जा को व्यर्थ गंवाते रहते हैं, दिन में इतना | __ तीन सूत्र आपसे कहता हूं। इन तीन सूत्रों का यदि खयाल गंवा देते हैं कि उनके पास कुछ बचता नहीं कि उस शक्ति पर सवार रहे-संकल्प, विल; साहस, करेज; संयम, कंजरवेशन-अगर होकर भीतर जा सकें। जिस दीए में छेद हो, और तेल टपक जाता | ये तीन सूत्र खयाल में रह जाएं, ये तीन स अगर खयाल में रह जाएं, हो। जिस नाव में छेद हो, और पानी भर जाता हो। जिस बाल्टी में| तो आपका आत्म-ज्ञान भभककर जल सकता है। और उस क्षण में छेद हो, और कुएं में डालकर पानी खींचना चाहते हों। वैसी फिर आत्म-अज्ञान विलीन हो जाता है। और जो जानता है स्वयं को...। आपकी हालत है। चौबीस घंटे गंवाते हैं। फिर इतना बचता नहीं! ये तीन सूत्र खयाल में हों, तो आत्म-अज्ञान कट जाता है। जो मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं, हम ध्यान को बैठते हैं, तो शेष रह जाता है, वह आत्म-ज्ञान की ज्योति है। उस ज्योति की 376

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