Book Title: Gita Darshan Part 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 463
________________ पहले फ्लैप से आगे यह गीता का श्रेय अर्जुन को है। यह अर्जुन समझ ही नहीं पाया। वह सवाल उठाता ही चला गया। जब एक मार्ग लगा कृष्ण को कि नहीं उसकी पकड़ में आता, नहीं उसके साथ बैठता तालमेल, तब उन्होंने दूसरी बात की; तब तीसरी बात की; तब चौथी बात की। मोहम्मद को भी अर्जुन मिल जाता, तो कुरान ऐसी ही बन सकती थी; नहीं मिला। महावीर को भी मिल जाता, तो उनके वचन भी ऐसे हो । सकते थे; नहीं मिला। अर्जुन जैसा पूछने वाला कभी-कभी मिलता है। कृष्ण जैसे उत्तर देने वाले बहुत बार मिलते हैं। अर्जुन एक अर्थों में, पूरी मनुष्य-जाति ने जितने सवाल उठाए हैं, उन सबका सारभूत है। पूरी मनुष्य-जाति में मनुष्य के मन ने जितने सवाल उठाए हैं, उन सारे सवालों को वह उठाता चला गया। वह पूरी मनुष्य-जाति के रिप्रेजेंटेटिव की तरह कृष्ण के सामने अड़कर खड़ा हो गया। कृष्ण को उसके उत्तर देने पड़े। एक-एक वह पूछता चला गया, एक-एक उन्हें उत्तर देने पड़े। वह एक-एक उत्तर को नकारता ।। गया; भुलाता गया; दूसरे की खोज करता चला गया। -ओशो

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