Book Title: Gita Darshan Part 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 447
________________ काम-क्रोध से मुक्ति अगर कोई पुरुष हृदय के चक्र पर बहुत ध्यान करे, तो उसमें स्त्री जा रही, बीच का क्षण होता है; तब आपका पुनर्जन्म हो सकता है, के लक्षण आने शुरू हो सकते हैं। रामकृष्ण ने छः महीने तक इस | रिबॉर्न। आप भीतर की तरफ यात्रा कर सकते हैं। मरते वक्त भी तरह का प्रयोग किया और तब बड़ी अदभुत घटना घटी। और वह | | फिर वही सम स्थिति आ जाती है। घटना यह थी कि रामकृष्ण के स्तन बड़े हो गए, स्त्रैण। रामकृष्ण तीन बार सम स्थिति आती है-जन्म के समय, मरते समय, की आवाज स्त्रियों जैसी हो गई। और यह तो ठीक था; एक बहुत | समाधि के समय। जितनी बार समाधि आएगी, उतनी बार सम अदभुत घटना घटी कि रामकृष्ण को छः महीने के प्रयोग के बाद | | स्थिति आएगी। लेकिन बस, तीन वक्त सम स्थिति होती है, जब मासिक-धर्म शुरू हो गया, मैंसेस शुरू हो गया। एक बहुत कि श्वास न बाहर है, न भीतर। चमत्कार की बात थी। यह सोचा भी नहीं जा सकता था कि यह | इस स्थिति में क्यों चेतना भीतर जा सकती है? क्योंकि जैसे ही कैसे संभव है! और जब इस प्रयोग को उन्होंने बंद किया, तो कोई | | श्वास बाहर-भीतर नहीं होती, जगत से सारा संबंध थिर हो जाता दो साल में धीरे-धीरे, धीरे-धीरे लक्षण खोए। अन्यथा वे बढ़ते ही | है, ठहर जाता है। अभी आप रूपांतरण कर सकते हैं। यह गियर रहे। मुश्किल से खो सके। उनकी चाल स्त्रियों जैसी हो गई! | बदलने का मौका है। न्यूट्रल में पहुंच गया गियर। आप गाड़ी हमारे व्यक्तित्व का जो निर्माण है, वह हमारे चक्रों से संबंधित | चलाते हैं, तो आप सीधे एक गियर से दूसरे गियर में नहीं बदल है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग चक्रों की व्यवस्था | सकते। न्यूट्रल में डाल देते हैं गियर को पहले, फिर दूसरे गियर में है ध्यान करने के लिए। अर्जुन के लिए-इसलिए मैंने | बदलते हैं। स्पेसिफिकली. आपको यह कह रहा है कि यह जो सत्र है. अर्जन । अगर श्वास को आप गियर समझें, तो भीतर जाती श्वास जीवन से कहा गया है। अर्जुन के व्यक्तित्व के लिए उचित है कि वह | की श्वास है, बाहर जाती श्वास मृत्यु की श्वास है। दोनों के बीच में आज्ञा-चक्र पर ध्यान को थिर कर ले। न्यूट्रल गियर है, जहां सम है; जहां न भीतर, न बाहर; अस्तित्व है __और ध्यान उसी समय प्रवेश कर जाएगा, जब श्वास सम होती | | जहां, न मृत्यु, न जीवन। उसी क्षण में आपका रूपांतरण होता है। है, न बाहर, न भीतर; बीच में ठहरी होती है। न तो आप ले रहे | - इसलिए कृष्ण दो बातों पर जोर देते हैं, श्वास हो सम अर्जुन, होते, न छोड़ रहे होते। जब श्वास दोनों जगह नहीं होती, ठहरी होती | | और ध्यान तेरा भ्रू-मध्य पर, आज्ञा-चक्र पर हो, तो फूल ऊपर उठ है, उस क्षण आप करीब-करीब उस हालत में होते हैं, जैसी हालत जाएगा, चक्र खुल जाएगा। और जैसे ही वह चक्र खुलेगा, वैसे ही में मृत्यु के समय होते हैं या जैसी हालत में जन्म के समय होते हैं। तु अचानक पाएगा कि वह सारी शक्ति जो पहले काम बनत क्या आपको पता है कि अगर बच्चा न रोए जन्म के बाद, तो | | क्रोध बनती थी, वह सारी की सारी शक्ति आज्ञा-चक्र पी गया। वह चिंता फैल जाती है! चेष्टा की जाती है उसे रुलाने की। क्या कारण | | सारी शक्ति संकल्प बन गई। है? मां के पेट में बच्चा श्वास नहीं लेता; सम रहता है। मां के पेट | इसलिए ध्यान रखें, अगर आप बहुत क्रोधी हैं या बहुत कामी में बच्चे को श्वास लेने की जरूरत नहीं पड़ती; सम रहता है। जिस | | हैं, तो एक लिहाज से दुर्भाग्य है, लेकिन एक लिहाज से सौभाग्य सम की बात कृष्ण कर रहे हैं। नौ महीने सम रहता है; न श्वास | | भी है। क्योंकि इस जगत में जो बहुत कामी हैं और बहुत क्रोधी हैं, बाहर आती है, न भीतर जाती है। श्वास चलती ही नहीं। | वे ही बड़े संकल्पवान हो सकते हैं। दुर्भाग्य है कि काम और क्रोध ___ इसलिए बच्चा पैदा होते से जो रोता है. चिल्लाता है. वह केवल | | आपको परेशान करेंगे। सौभाग्य है कि अगर आप ध्यान कर लें, श्वास का यंत्र काम करने की कोशिश कर रहा है, और कुछ भी तो आपके पास जितना संकल्प होगा, उतना उन लोगों के पास नहीं नहीं। रो-चिल्लाकर उसके फेफड़े काम शुरू कर रहे हैं तेजी से। होगा, जिनके पास न काम है, न क्रोध है। अगर वह थोड़ी देर चूक जाए, तो कठिनाई होगी। कठिनाई हो । इसलिए इस जगत में जिन लोगों ने बहुत महान शक्ति पाई, वे सकती है। इसलिए रोए बच्चा, तो खुशी की बात है। क्योंकि वे ही लोग हैं, जो बहुत कामी थे, बहुत सेक्सुअल थे। यह बहुत मतलब हुआ कि वह स्वस्थ है, और काम शुरू हो जाएगा। हैरानी की बात है। इस जगत में जो लोग बहुत महान ऊर्जा को सम स्थिति में होता है उस समय, जब बच्चा पैदा होता है। ठीक | | उपलब्ध हुए, वे वे ही लोग हैं, जो ओवर सेक्सुअल थे। साधारण वही स्थिति पुनः हो जाती है, जब श्वास न भीतर जा रही, न बाहर | | रूप से कामी नहीं थे; बहुत कामी थे। लेकिन जब शक्ति बदली, 4211

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