Book Title: Ghantakarn Mahavir Dev
Author(s): Mahudi Jain Shwetambar Murtipujak Trust
Publisher: Mahudi Jain Shwetambar Murtipujak Trust
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श्री घंण्टाकर्णमहावीर मूलमहामंत्र ॐ आँ क्रौँ ह्रीं द्राँ द्रौँ क्षांक्षी हूं क्षौँ क्ष : घंटाकर्णमहावीरक्षेत्रपालाय नमः । ममोपरि प्रसनो भव, प्रत्यक्ष दर्शनं देहि, वाच्छितं पूरय पूरय स्वाहा
मंत्रान्यासा : ॐ ह्रीँ घंटाकर्णमहावीर मे सर्वाङ्ग रक्ष, ही हृदयं रक्ष, की हस्तं रक्ष, लूँ मूलाधारं रक्ष, हाँ हस्तं रक्ष, की उदरं रक्ष, वाँ पादौ रक्ष, श्री नाभिं रक्ष, ज्ञौ बुद्धि रक्ष, ॐ घंटाकर्णमहावीर नमोडस्तु ते स्वाहा ।
आहवानमंत्रम् ॐ ही घंटाकर्णमहावीर अस्यां मूत्त्याँ आगच्छ तिष्ठ २ सर्ववि श्व लोकहितं कुरु २ पूजां बलिं गृहाण २ धूपं नैवेद्यं पुष्पं दीपं नैवेद्यं गृहाण २ स्वाहा ।
(२) ॐ घंटाकर्णमहावीरमूलमहामन्त्र
ॐ क्रौं ह्रीँ श्री महावीर, घंटाकर्ण महाबली । महारोगान् भयान् घोरान्, नाशय नाशय द्रुत्वम् ॥१॥ सादिकं विषं शीघ्रं, जहि जहि विनाशय । शाकिनीभूतवैतालान्, राक्षसांश्च निवारय ।।२।। त्वन्नाममन्त्रजापेन, त्वन्मन्त्र श्रवणेन च । भूपभीतिमहामारी, शीघ्रं नश्यतु मे ध्रुवम् ॥३॥ यन्त्रस्थ मन्त्ररुपेण, यत्र त्वं तिष्ठसि ध्रुवम् । तत्र शांति च तुष्टिं च पुष्टिं कुरुष्व मङ्गलम् ॥४॥
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