Book Title: Gautamswami Mahapoojan
Author(s): Subodhvijay
Publisher: Bhanuprabha Jain Senetoriam
View full book text
________________
यस्माद् द्वेषादयो दोषा: क्षिप्रं क्षीणा: क्षमाखने:। दोषा पूषमयूखेभ्य इवहर्यक्षलक्षणात्
11६1 यदेहधुतिसन्दोह सन्देहितवर्षुदधौ । रवि: खद्योतपोतद्युत्या डम्बरविडम्बनाम्
||७|| भविनां यत्र चित्तस्थे स्युींवृद्धिसिद्धयः। तं वर्धमानमानौमि वर्धमान सुभावनः
IIII इतियस्ते वा स्तवं पठंति वीर! जिनचन्द्र! जातारोमाञ्च: यात्यपवर्गस द्रुतमखर्वगर्वारिवर्गजयी
||९|| ॐ ह्रीं श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-मृत्यु निवारणाय ब्रह्मशांति - सिद्धायिका परिपूजिताय श्रीमते वीरजिनेन्द्राय जलं चंदनं पुष्पं धूपं दीपं अक्षतं नैवेद्यं फलं यजामहे स्वाहा ॥
- થાળીના ૨૭ ડંકા વગાડી, સિંહાસનમાં બિરાજિત મહાવીર સ્વામીની મૂર્તિને અષ્ટપ્રકારી પૂજા કરવી.
MERE
- PARRORTANTRA

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134