Book Title: Dvadasharam Naychakram Part 3 Tika
Author(s): Mallavadi Kshamashraman, Sighsuri, Jambuvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 214
________________ ९०३ वाद-वादि-ग्रन्थ-ग्रन्थकृन्नाम्नां विशिष्टशब्दानां च सूचिः उद्धतः पाठः पृ. लौकिक ८, १५, ३३, ३९, ४८, ६४, १८९ वसुबन्धु वसुरात ५८१ वाक्य ५१२, ५१३, ५१६, ५१७ वाक्यकार ५१६, ५१७, विज्ञानमात्रतावाद १८९, २६० विज्ञानवाद विष्णु ३४६ वृक्षायुर्वेद २०२, ३६७ वेद ११९, १२०, १३३, १३४, १४० वेदवादि १११ वैदिक वैशेषिक १, ३४, ३५, ६४, ७३, ८७, १७४, २९१, २९२, ३२७, ३२९ वैशेषिकीयतन्त्र ४५९ व्यवहारनय व्याकरण १२०, १८१, ३६२ व्यास शाक्यपुत्रीय शास्त्र २, ४७, ५०, ५३, ५४, ५६ ५७, ५९, १०८, ११७, ११८ १२१, १३५, २०८, २०९, २१७, ३३८ उद्धृतः पाठः शास्त्रकार शासन शिष्य शून्यवाद २४७, २६० शौद्धोदनि श्रुति १३०, १५५, १५६ समुद (दा)यवाद २४७, २६० सामान्यवाद ३३ सार्वश्य-सर्वज्ञता १७९, १८०, १८२, २०४ सांख्य ११, १८, ३२, ३४, ३५, ४०, ६४, १०७, ११५, ११९, १२०, १२१, १२२, १३६, १४५ १७४, २८७, २९३ सामायिक ८५४ सिंहसूरिगणि ८५४ सिंहसूरिगणिवादिक्षमाश्रमण ७६४ ५१६ १०, ५९, ९३ सौनाग स्वगुरु (वसुबन्धु) सूत्रकार सूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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