Book Title: Dhaturatnakar Part 5
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 489
________________ 478 धातुरत्नाकर पञ्चम भाग महि। ५ अवटि (अवटयि)-षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, | खेटयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, ड्ढ्व म्/दवम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि ।। सिमहे ।। अवटि-'', षाताम्, षत, ष्ठाः, षाथाम्, ड्व म्/ध्वम्, षि, | ७ खेटयिषी -ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, वम्/ध्वम्। ष्वहि, ष्महि।। य, वहि, महि।। ६ वटयाञ्च-क्रे, क्राते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृढ्वे। क्रे, कृवहे, खेटिषी-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, ध्वम्। य, कृमहे ।। वहि, महि।। वटयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, | ८ खेटयिता, खेटिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, विवहे, विमहे।। स्महे ।। वटयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, ९ खेटयिष्, (खेटिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, सिमहे ।। यावहे, यामहे ।। ७ वटयिषी -ष्ट, यास्ताम, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, दवम्/ध्वम्।। | १० अखेटयिष्, अखेटिए -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, य, वहि, महि।। यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। वटिषी-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, ध्वम्। य, वहि, १८६४ खोटण् (खोट) क्षेपे।। महि।। ८ वटयिता, वटिता -", रौ, र:। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, १ खोट्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, स्महे ।। यामहे। ९ वटयिष्, (वटिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, २ खोट्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, यावहे, यामहे ।। १० अवटयिष्, अवटिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, ३ खोट्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, यावहै, यामहै।। यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। ४ अखोट्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, १८६३ खेटण (खेट्) भक्षणे।। यावहि, यामहि।। १ खेट्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। | ५ अखोटि (अखोटयि)-षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, २ खेट्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, ड्ढ्व म्/दवम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि ।। महि। अखोटि-", षाताम्, षत, ष्ठाः, षाथाम, इदवम्/ध्वम्, षि, ३ खेट्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, ष्वहि, महि।। ६ खोटयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, काथे, कृट्वे। क्रे, यावहै, यामहै।। ४ अखेट्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, कृवहे, कृमहे ।। खोटयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, यावहि, यामहि।। विवहे, विमहे।। ५ अखेटि (अखेटयि)-षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, खोटयामा- हे, साते, सिरे। सिथे, साथे, सिध्वे। हे, ड्ढ्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। सिवहे, सिमहे ।। अखेटि-'", षाताम्, षत, ष्ठाः, षाथाम्, ड्वम्/ध्वम्, षि, ७ खोटयिषी -ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, ढ्वम्/ध्वम्। ष्वहि, ष्महि।। य, वहि, महि।। ६ खेटयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, काथे, कृढवे। के, कृवहे, __खोटिषी-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, ध्वम्। य, कृमहे ।। वहि, महि।। खेटयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, । | ८ खोटयिता, खोटिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, विवहे, विमहे ।। स्वहे, स्महे ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534