Book Title: Dhaturatnakar Part 5
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi
View full book text
________________
496
धातुरत्नाकर पञ्चम भाग
१९१३ कलण् (कल्) संख्यानगत्योः॥
शीलयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे।
वे, विवहे, विमहे ।। १ कल्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। २ कल्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि,
शीलयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे,
सिवहे, सिमहे ।। महि। ३ कल्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम, यध्वम्। यै,
७ शीलयिषी (शीलिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, यावहै, यामहै।।
ट्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ४ अकल्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, | ८
८ शीलयिता, शीलिता -'", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, यावहि, यामहि ।।
स्वहे, स्महे ।। ५ अकलि (अकलयि, अकलि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्,
९ शीलयिष्, (शीलिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ड्ढ्व म्/दवम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि ।।
ये. यावहे, यामहे ।। ६ कलयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृष, क्राथे, कृट्वे। क्रे, |
१० अशीलयिष्, अशीलिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, कृवहे, कृमहे ।।
येथाम्, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। कलयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। वे, १९१५ वेलण् (वेल्) उपदेशे॥ विवहे, विमहे ।। कलयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, | ११
| १ वेल्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। सिवहे, सिमहे।।
| २ वेल्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि । ७ कलयिषी (कलिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, | ३ वेल्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, दवम्/ध्वम्। य, वहि, महि।।।
यावहै, यामहै।। ८ कलयिता, कलिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, | ४ अवेल्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, स्वहे, स्महे ।।
यावहि, यामहि।। ९ कलयिष्, (कलिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, ५ अवेलि (अवेलयि, अवेलि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, यावहे, यामहे ।।
ड्ढ्वम्/ढ्वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि ।। १० अकलविष्, अकलिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्,
६ वेलयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृट्वे। क्रे, कृवहे, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।।
कृमहे ।। १९१४ शीलण (शील्) उपधारणे।।
वेलयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे विध्वे। वे, १ शील्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, विवहे, विमहे।। यामहे।
वेलयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, २ शील्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, सिमहे॥ महि।
| ७ वेलयिषी (वेलिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, ३ शील-यताम, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। य, | ढवम/ध्वम्। य, वहि, महि।। यावहे, यामहै।।
| ८ वेलयिता, वेलिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, ४ अशील्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, |
३म्। च, स्महे ।। यावहि, यामहि ।।
| ९ वेलयिष्, (वेलिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, अशीलि (अशीलयि, अशीलि)- षाताम्, षत। ष्ठाः,
यावहे, यामहे ।। षाथाम, इदवम्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। ६ शीलयाश-क्रे, क्राते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कढ़वे। क्रे, | १० अवेलयिष्, अवेलिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, कृवहे, कृमहे।।
यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534