Book Title: Dhaturatnakar Part 5
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 508
________________ भावकर्मप्रक्रिया (चुरादिगण, व्यञ्जनान्तधातु) 497 १९१६ कालण (काल्) उपदेशे।। ६ पल्यूलयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृष, क्राथे, कृवे। के, १ काल्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, कृवहे, कृमहे ।। यामहे। पल्यूलयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। २ काल्ये-त, याताम्, रन्। था:, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, वे, विवहे, विमहे ।। महि। पल्यूलयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, ३ काल्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, सिवहे, सिमहे ।। यावहै, यामहै।। ७ पल्यूलयिषी (पल्यूलिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, ४ अकाल्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, यास्थाम्, वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। यावहि, यामहि।। ८ पल्यूलयिता, पल्यूलिता -", रौ, र:। से, साथे, ध्वे। हे, ५ अकालि (अकालयि, अकालि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, स्वहे, स्महे ।। षाथाम्, ड्ढवम्/ढ्वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि ।। ९ पल्यूलयिष्, (पल्यूलिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, ६ कालयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृष, क्राथे, कृढ्वे। क्रे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे ।। कृवहे, कृमहे।। १० अपल्यूलयिष्, अपल्यूलिष् -यत, येताम, यन्त। यथाः कालयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। येथाम्, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। वे, विवहे, विमहे।। १९१८ अंशण (अंश्) समाधाने।। कालयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, १ अंश्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। सिवह, सिमहे ।। २ अंश्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, ७ कालयिषी (कालिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, महि। ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ३ अंश्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, ८ कालयिता, कालिता -", रौ, र:। से, साथे, ध्वे। हे, यावहै, यामहै।। स्वहे, स्महे ।। ४ आंश्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, ९ कालयिष्, (कालिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। यावहि, यामहि।। ये, यावहे, यामहे ।। ५ आंशि (आंशयि)-षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, १० अकालयिष्, अकालिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, ड्ढ्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। येथाम्, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।। आंशि-'", षाताम्, षत, ष्ठाः, षाथाम्, ड्वम्/ध्वम्, षि, १९१७ पल्यूलण् (पल्यूल) लवनपवनयोः।। ष्वहि, महि।। ल्यल-यते येते यन्ते। यमे येथे यध्वे। ये यात | ६ अंशयाञ्च-क्रे, क्राते, क्रिरे। कृषे, क्राथे. कढवे। के यामहे। कृवहे, कृमहे ।। २ पल्यूल्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, अंशयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, विवहे, विमहे ।। महि। ३ पल्यूल्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, अंशयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, यावहै, यामहै।। सिवहे, सिमहे ।। ४ अपल्यूल्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, | ७ अंशयिषी -ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, दवम्/ध्वम्। यावहि, यामहि।। य, वहि, महि।। ५ अपल्यूलि (अपल्यूलयि, अपल्यूलि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, । अंशिषी-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, ध्वम्। य, वहि, महि।। षाथाम्, इवम्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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