Book Title: Dhaturatnakar Part 5
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi
View full book text
________________
भावकर्मप्रक्रिया (चुरादिगण, व्यञ्जनान्तधातु )
505 ६ स्थूलयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृट्वे। क्रे, | १९४० गृहणि (गृह) ग्रहणे।। कृवहे, कृमहे।।
१ गृह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। स्थूलयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे।।
२ गृह्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। वे, विवहे, विमहे।।
३ गृह-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, स्थूलयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, |
यावहै, यामहै।। सिवहे, सिमहे ।।
४ अगृह-यत, येताम, यन्त। यथाः, येथाम, यध्वम्। ये, ७ स्थूलयिषी, स्थूलिषी -ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, |
यावहि, यामहि ।। ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।।
५ अगृहि (अगृहयि, अगृहि)-षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, ८ स्थूलयिता, स्थूलिता :'", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, |
ड्ढ्वम्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि।। स्वहे, स्महे।।
६ गृहयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृट्वे। क्रे, कृवहे, ९ स्थूलयिष्, (स्थूलिए)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे।
कृमहे ।। ये, यावहे, यामहे ।।
गृहयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। वे, १० अस्थूलयिष्, अस्थूलिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः,
विवहे, विमहे ।। येथाम्, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।।
गृहयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, १९३९ गर्वणि (ग) माने।।
सिमहे।। १ ग-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। | ७ गृहयिषी, गृहिषी -ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, २ गव्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम, ध्वम्। य, वहि. महि।। ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ३ ग-यताम, येताम्, यन्ताम, यस्व। येथाम, यध्वम। 2. ८ गृहयिता, गृहिता -'", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, यावहै, यामहै।।
स्महे ।। ४ अगर्व-यत, येताम, यन्त। यथाः, येथाम, यध्वम्। ये, | ९ गृहयिष्, (गृहिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहि, यामहि।।
यावहे, यामहे ।। ५ अगर्वि (अगर्वयि, अगर्वि)-षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, | १० अगृहयिष्, अगृहिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, ड्वम्/ढ्वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि।।
यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। ६ गर्वयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, काथे, कृट्वे। क्रे, कृवहे,
१९४१ कुहणि (कुह्) विस्मापने।। कृमहे ।। गर्वयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे. | १ कुह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। विवहे, विमहे ।।
| २ कुह्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। गर्वयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, | ३ कुह-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, सिमहे ।।
यावहै, यामहै।। ७ गर्वयिषी, गर्विषी -ष्ट, यास्ताम, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, ४ अकुह-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि ।।
यावहि, यामहि।। ८ गर्वयिता, गर्विता -'", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, | ५ अकुहि (अकुहयि, अकुहि)-षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, स्महे ।।
ड्ढ्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि. महि।। ९ गर्वयिष्, (गर्विष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, | ६ कुहयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृट्वे। क्रे, कृवहे, यावहे, यामहे ।।
कृमहे ।। १० अगर्वयिष्, अगर्विष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, | कुहयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।।
विवहे, विमहे ।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534