Book Title: Dhaturatnakar Part 5
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 512
________________ भावकर्मप्रक्रिया (चुरादिगण, व्यञ्जनान्तधातु ) 501 ९ महयिष्, (महिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, | ६ रहयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, काथे, कृढवे। क्रे, कृवहे, यावहे, यामहे ।। कृमहे ।। १० अमहयिष्, अमहिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, रहयाम्वभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।। विवहे, विमहे।। रंहयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, १९२७ रहण (रह्) त्यागे।। सिमहे।। १ रह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। | ७ रहयिषी (रंहिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, २ रह्य-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। । ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ३ रह-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, | ८ रंहयिता, रंहिता -'', रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, ___ यावहै, यामहै।। स्महे ।। ४ अरह-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, ९ रंहयिष्, (रंहिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहि, यामहि ।। यावहे, यामहे ।। ५ अरहि (अरहयि, अरहि)- षाताम. षत। ष्ठाः. षाथाम. | १० अरहयिष्, अरंहिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम, ड्ढ्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि ।। यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। ६ रहयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृष, क्राथे, कृवे। क्रे, कृवहे, १९२९ स्पृहण (स्पृह) ईप्सायाम्॥ कृमहे।। १ स्पृह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। रहयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, | . | २ स्पृह्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, विवहे, विमहे ।। महि। रहयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, | ३ स्पह-यताम, येताम, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। य, सिमहे ।। यावहै, यामहै।। ७ रहयिषी (रहिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, | ४ अस्पृह-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। यावहि, यामहि॥ रहयिता, रहिता -", रौ, र:। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, | ५ अस्पृहि (अस्पृहयि, अस्पृहि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, स्महे ।। ड्ढ्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि ।। ९ रहयिष्, (रहिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, ६ स्पृहयाच-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृढ्वे। के, यावहे, यामहे ।। कृवहे, कृमहे ।। १० अरहयिष्, अरहिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, स्पृहयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। वे, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। विवहे, विमहे।। १९२८ रहुण् (रंह्) गतौ।। स्पृहयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, सिमहे।। १ रह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। । ७ स्पृहयिषी (स्पृहिषी)-ष्ट, यास्ताम, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, २ रह-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि।। ढवम/ध्वम। य. वहि, महि।। ३ रंह-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, | ८ स्पृहयिता, स्पृहिता -'", रौ, र:। से, साथे, ध्वे। हे, यावहै, यामहै।। | स्वहे, स्महे ।। ४ अरह-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, | ९ स्पृहयिष, (स्पृहिष)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहि, यामहि।। यावहे, यामहे ।। ५ अरहि (अरंहयि, अरंहि)- पाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, | १० अस्पृहयिष्, अस्पृहिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम, ड्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।। पह, स्मह|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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