Book Title: Dhaturatnakar Part 5
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 511
________________ 500 धातुरत्नाकर पञ्चम भाग महि। १९२४ निवासण् (निवास) आच्छादने॥ ५ अचहि (अचहयि, अचहि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, १ निवास-यते, येते. यन्ते। यसे. येथे. यध्वे। ये. यावहे | इवम्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि।। यामहे। ६ चहयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृदवे। क्रे, कृवहे, २ निवास्ये-त, याताम्, रन्। था:, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, कृमहे।। चहयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, ३ निवास्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, विवहे, विमहे ।। यावहै, यामहै।। चहयामा-हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, ४ अनिवास्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, सिमहे। यावहि, यामहि ।। ७ चहयिषी (चहिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, ५ अनिवासि (अनिवासयि)-षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ड्ढ्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। ८ चहयिता, चहिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, अनिवासि-", षाताम्, षत, ष्ठाः, षाथाम्, ड्ढ्वम्/ध्वम्, स्महे।। षि, ष्वहि, महि।। ९ चहयिष्, (चहिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, ६ निवासयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृट्वे। क्रे, | यावहे, यामहे ।। कृवहे, कृमहे।। १० अचहयिष्, अचहिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, निवासयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।। वे, विवहे, विमहे।। १९२६ महण (मह्) पूजायाम्।। निवासयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, | १ मह्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। सिवहे, सिमहे।। ७ निवासयिषी -ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, २ महो-त, याताम्, रन्। था:, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। दवम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ३ मह्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, यावहै, यामहै।। निवासिषी-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, ध्वम्। य, वहि, महि।। ४ अमह्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, ८ निवासयिता, निवासिता -", रौ, र:। से, साथे, ध्वे। हे, यावहि, यामहि ।। स्वहे, स्महे ।। ५ अमहि (अमहयि, अमहि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, ९ निवासयिष्, (निवासिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, ड्ढ्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। यध्वे। ये, यावहे, यामहे ।। ६ महयाच-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृट्वे। क्रे, कृवहे, १० अनिवासयिष्, अनिवासिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, | कृमहे।। येथाम्, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।। महयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। वे, १९२५ चहण (चह्) कल्कने।। विवहे, विमहे ।। १ चह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। महयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, २ चो-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। | सिमहे ।। ३ चह-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, । ७ महयिषी (महिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, यावहै, यामहै।। वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ४ अचह-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम, यध्वम्। ये, | ८ महयिता, महिता -'", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, यावहि, यामहि।। स्महे।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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