Book Title: Dhaturatnakar Part 5
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 482
________________ 471 भावकर्मप्रक्रिया (चुरादिगण, व्यञ्जनान्तधातु ) १८४० तन्त्रिण (तन्त्र्) कुटुम्बधारणे।। मन्त्रयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, १ तन्त्र-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। सिमहे।। २ तन्त्र्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। मन्त्रयिषी (मन्त्रिधी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, ३ तन्त्र-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। यावहै, यामहै।। ८ मन्त्रयिता, मन्त्रिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, ४ अतन्त्र-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, | स्महे ।। यावहि, यामहि।। ९ मन्त्रयिष्, (मन्त्रिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, ५ अतन्त्रि (अतन्त्रयि, अतन्त्रि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, यावहे, यामहे ।। ड्ढ्व म्/दवम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। १० अमन्त्रयिष्, अमन्त्रिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, ६ तन्त्रयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृढ्वे। क्रे, कृवहे, ___ यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।। कृमहे ।। १८४२ ललिण् (लल्) ईप्सायाम्।। तन्त्रयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, १ लाल्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, विवहे, विमहे ।। यामहे। तन्त्रयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, सिमहे।। २ लाल्ये-त, याताम्, रन्। था:, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। ७ तन्त्रयिषी (तन्त्रिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, ढवम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ३ लाल्-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, ८ तन्त्रयिता, तन्त्रिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, यावहै, यामहै।। स्महे।। ४ अलाल्-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, ९ तन्त्रयिष्, (तन्त्रिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहि, यामहि।। यावहे, यामहे ।। ५ अलालि, अलालयि, अलालि -षाताम्, षत। ष्ठाः, १० अतन्त्रयिष्, अतन्त्रिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, षाथाम्, ड्ढ्व म्/दवम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। लालयाच-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, काथे, कृवे। क्रे, १८४१ मन्त्रिण (मन्त्र्) गुप्तभाषणे।। कृवहे, कृमहे।। लालयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। १ मन्त्र्-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। वे, विवहे, विमहे।। २ मत्र्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। लालयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, ३ मन्त्र-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, यावहै, यामहै।। सिवहे, सिमहे ।। ४ अमन्त्र-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, | ७ लालयिषी, अलालि -ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, यावहि, यामहि।। ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ५ अमन्त्रि (अमन्त्रयि, अमन्त्रि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षायाम, | ८ लालयिता, लालिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, ड्ढवम्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। स्वहे, स्महे ।। ६ मन्त्रयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृढ्वे। क्रे, कृवहे, | ९ लालयिष्, (लालिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। कृमहे ।। ये, यावहे, यामहे ।। मन्त्रयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। वे, | १० अलालयिष्, अलालिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, विवहे, विमहे।। येथाम, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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