Book Title: Dhatupradip
Author(s): Srishchandra Chakravarti
Publisher: Varendra Research Society
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________________ धातुंप्रदीपः / वन षण संभक्तौ / 462 / 463 / वनति / ववान / ववनतुः / ववनुरिति / अर्थभेदात् पुनः पठ्यते / सनति / असोषणत् / सातिः सतिः सन्तिः / अम गत्यादिषु / 464 / अमति / अभ्यमीत्। आमः ; आमयति / संभक्तिशब्दयोरनन्तरयोग्रहणार्थमादिशब्दमिच्छन्ति / ट्रम हम्म मीम गतौ / 465-467 / द्रमति / नित्यं कौटिल्ये यङ् ट्रंद्रम्यते / दन्द्रमणः / हम्मति / जहम्म / मीमति / अमिमीमत् / मौमा / चमु छमु जमु झम अदने / 468.471 / चमति / आचामति / आचामयति / चमित्वा चान्त्वा। आचान्तः / आचामः / छमति / जमति / संजमनम् / झमति / जिमि केचित् पठन्ति / जेमति। जेमनम् / क्रमु पादविक्षेपे / 472 / क्रामति / क्राम्यति / क्रमते / क्रम्यते / प्रक्रम्यते / प्रक्रमते / प्रक्राम्यते देवदत्तः / इन्प्रत्यये बाहुल्यादुपधाया इत्त्वञ्च / क्रिमिः / क्रमः / संक्रमः / संक्रामयति / संक्रामः / वा चित्तविराग इत्यतो (6 / 4 / 81) वेत्यनुवृत्तेर्व्यवस्थितविभाषात्वान् मितां इख इति (6 / 3 / 02) न भवति / (64) इति परस्मैभाषा उदाता उदात्तः / अथ यरलवान्ता आत्मनेपदिनः / अय वय यय मय चय तय णय गतौ। णय रक्षणे च / 473-478 / अयते / पलायते / पलायाञ्चके / पल्ययते / पल्ययितः / पलायितः / प्रायः / अमुन् प्रयो लौहम् / अमोशमायेत्यादिना (5 / 4:83 ) अच् / कालायसम् / घयते / ववये / वयः / नौवयेत्यादिना (4 / 4 / 81) यत् / वयसा तुल्यो वयस्यः / ययते / येये / मयते मेये। चयते / चेये। तयते / तेये / नयते / नेये / दय दानगतिरक्षणहिंसादानेषु। 480 / दयते। सर्पिषो दयते / "दयाञ्चक्रे न राक्षसः।" दया। दयालुः / रय गतौ / 481 / रयते / रेये। रयितम् / रयः / (64) व्यवस्थितविभाषति। तेन प्रियसहदि विभौषणे श्रियं संक्रमय्य वैरिण प्रत्यादि प्रयोगः / धान विश्रामबतीत्यादावपि व्यवस्थितविभाषा।

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