Book Title: Dhatupradip
Author(s): Srishchandra Chakravarti
Publisher: Varendra Research Society
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________________ धातुप्रदीपः / 148 खेट भक्षणे / 317 / खेटयति / आखेटना। खोट इत्येके / खोटयति / खोट इति च / 318 / / क्षोट क्षेप / 318 / क्षोटयति / क्षोटकः। गोम उपलेपने / 320 / गोमयति। गोमयाम्बभूव / . कुमार क्रीड़ायाम् / 321 / कुमारयति / कुमारयाञ्चकार कुमारयामास / कुमारः / कुमारी। कुशूल इत्येके / 322 / कुशूलयति। कुशूलकः / शील उपधारणे / 323 / शीलयति / शीलितः / मांसशीलः / मांसशीला। . साम सान्त्वने / 324 / सामयति / अससामत् / वेल कालोपदेशे / 325 / वेलयति / वेला। काल इत्यपि धातुरित्येके / कालयति / अचकालत् / कालना। पल्यूस लवनपवनयोः / 326 / पल्यूलयति / पल्यू लयामास / वात सुखसेवनयोः / 327 / वातयति / अववातत् / गवेष मार्गेणे / 328 / गवेषयति / अजगवेषत् / गवेषणा / वास उपसेवायाम् / 328 / वासयति / अववासत् / निवास आच्छादने। 330 / निवासयति। निवासयामास / अनिनिवासत् / निनिवासयिषति / भांज पृथक् कर्मणि / 331 / भाजयति / अबभाजत्। भाजनम् / समाज प्रीतिदर्शनयोः / 332 / सभाजयति / असमभाजत् / जन परिहाणे / 333 / जनयति / जनः / न्यूनः / माषोनः / औनयीत् / श्रौनिनत् / (41) ध्वन शब्दे / 334 / ध्वनयति / अदधनत् / अन्यत्र ध्वनति। ... कूट परिदाहे / 335 / कूटयति / कूटम् / (41) औनयौदिति तुच्छान्दसं रूपम्। तथाच नोनयतिध्वनयत्ये लयत्य यतिभ्य इति (3151) छन्दसि चनिषेधः। काममूनयोरिति सवीदाहरणम्। अड़ागमाभावश्च वैदिक एव। भाषायामौनिमेदिति बत्तिकारादयः। भट्टोजिमते तु चीननदिति /

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