Book Title: Dharmpariksha Author(s): Yashovijay Publisher: View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir .... .... 260 94 कपादिपरीक्षाभिः शुद्ध धर्मे प्रवृत्ता गुरवोऽपि सुवर्णमिव शुद्धा एव / गुरूगां सुवर्णसदृशत्वम् / सुवर्णस्य अष्टगुणप्ररूपणम् / सुवर्णसामान्येन साधुगुणाः। सुवर्णसादृश्येन साधुगुणनिगमनम् / . .... 260 97 'उचितगुणश्च गुरुन त्याज्यः, किन्तु तदाज्ञायामेव वर्तित व्यम् ' इत्युपदेशः। गुर्वाज्ञास्थितस्य एकाग्रत्वसंपत्तिः। ... .... 260 99 एकाग्रत्वसंपत्तौ आत्मस्वरूपं प्रत्यक्षं भवति / आत्मस्वरूपप्रत्यक्षे विकल्पोपरमः। ... 261 'का अरतिः को वाऽऽनन्दः' इति विकल्पस्याप्यभावः। 261 102 'अन्ये पुद्गलभावाः, ज्ञानमात्रश्चान्योऽहं' इत्येष शुद्धविकल्पः। 262 103 अध्यात्मध्यानस्य स्तुतिः। .... 263 105 अध्यात्माबाधेनैव धर्मवादेनैव तत्त्वनिर्णयार्थ प्रवृत्तिः कर्तव्या। 263 / / 105 'अस्मिन् ग्रन्थे धर्मवादस्य दिशैव किंचित् भणितम् ' इत्यु- . पसंहारः। ... 267 106 जिनाज्ञायाः सर्वस्वोपदर्शनम् / .... 264 107 धर्मपरीक्षायाः प्रयोजनम्, तत्संशुद्धौ गीतार्थ प्रति प्रार्थना। 264 108 261 प्रमाणत्वेनोद्धृतग्रन्थनामानि / नाम. पृष्ठम्. नाम. पृष्ठम्. आचाराङ्ग. 13, 19, 143, 202, अनुयोगद्वार. ... 181. 222, 238. अष्टकमकरण. .... 13, 91, , चूणि. ... 228. , नियुक्ति. 5, 155, 20 / / भागम. 18, 150, 160, 161, | , वृत्ति. 204, 222, 223. 185, 198, 208. | आतुरप्रत्याख्यान. ..... 77. आ. आगम. For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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