Book Title: Dharmpariksha Author(s): Yashovijay Publisher: View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11. आराधनापताका. आवश्यक. | जीवाभिगम. 149. आवश्यककथानक. ... 170. उ. तत्त्वार्थ. ___ .... 251. उत्तराध्ययन. तत्त्वार्थभाष्य. .... 126, 252. ,, नियुक्ति. , वृत्ति. 152, 176, 206. उत्सूत्रकन्दकुद्दाल, 11, 12. त्रिषष्टीयनेमिचरित्र. ... उपदेशपद. 15, 31, 42, 55, 59, 60, 61, 77, 79, 81, दशवैकालिकनियुक्ति. .... 84. 83, 85, 104, 109, , वृत्ति. 84, 166. 128, 141, 143,160, दशाश्रुतस्कन्धचूर्णि. 119,191,201. , वृत्ति. 55, 59, 60, 61, धर्मबिन्द. .... 65, 83, 93. 81, 109. उपदेशमाला. .... 96, धर्मरत्नप्रकरण. .... 2, 134. , वृत्ति. 96, 150, 151. , वृत्ति. 39, 134. उपदेशरत्नाकर. ..... 119, 136. / नन्दिसूत्र. ओ. .... 141. ओपनियुक्ति. 106,171,180,232, ,, वृत्ति. ..... 141. निशीथचूर्णि. 201. कर्मप्रकृति. .... 127. न्यायावतार. ____ .... 246. कल्पभाष्य. ..... 210. कायस्थितिस्तोत्र. पश्चसूत्रो. , वृत्ति. .... 117. गच्छाचारप्रकीर्णक. पञ्चाशक. 65,95,102,133,205. गुणस्थानकक्रमारोह. 23. , वृत्ति. 65, 95, 102, टीका. ... 108, 1330 पाक्षिकसूत्र. .... 16. चउसरणपइन्न. 16, 114, 230, , चूर्णि. .... , वृत्ति. 115, 230, 238 / , वृत्ति. .... 166. For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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