Book Title: Dharmpariksha
Author(s): Yashovijay
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाक्षिकसप्ततिकात्ति..... 133. योगबिन्दु. 27, 44, 57, 62, पापप्रतिघातगुणवीजाधान. 17. 68, 83, 92,110 पुष्पमाला बृहद्वृत्ति. .... 38. ., वृत्ति. 27, 57, 58, 620 , लघुत्ति . ... 39. योगशास्त्रत्ति. 31,123,135,247, 248. प्रज्ञापना. 157, 174, 219. , वृत्ति. 27, 177, 180. लघूपमितभवप्रपञ्च. ... 33. प्रवचनसारोद्धारवृत्ति. 31, 205. ललितविस्तरा. .... 65. प्रश्नव्याकरण. .... 230 वन्दारुवृत्ति. ..... 66. बृहत्कल्पभाष्य. 113, 184, 219. | विशिका. .... 66, 68,110. , वृत्ति. 172, 184, 202. विशेषावश्यक. 75,167,190,192. 206,209,213,252. भगवतीसूत्र. 16, 72,121,143, | वीरचरित्र (हैम) .... 144. 145,147,148,151, " (प्राकृत) .... 150. 152,159,168,169, वृद्धोपमितभवम पञ्च. .... . 34. 175,176,201,211, व्यवहारभाष्य. 6, (12 ?) 49. 214,220,242,252, | शक्रस्तव. 238. , वृत्ति. 72,143,174,175, 176,215,217.221, " वृत्ति. श्राद्धजीतसूत्र. 251. ..... 259. भवभावनात्ति. श्राद्धप्रतिक्रमणचूर्णि, ... 137. भारत. श्राद्धविधित्ति. .... 135. भुवनभानुकेवलिचरित्र..... श्रावकदिनकृत्यत्ति. 38,134. श्रावकमज्ञप्ति. __... 120. महानिशीथ. 5, 78,126,128. षष्टांग (ज्ञाताधर्म) .... 259. यतिजोतकल्प. ...... 248. , वृत्ति. .... .... 249. संमति. .... 88, 240, योगदृष्टिसमुच्चय. 238. ام لم "वृत्ति . ग (शातात प. ननि ... For Private and Personal Use Only

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