Book Title: Dharmopadeshmala prakaranam
Author(s): Jaysinhsuri, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 318
________________ २६२] 10 [ सविवरणं धर्मोपदेशमालाप्रकरणम् जय पयडियपायडसाहुधम्म ! जय जय पसत्थवरज्झाण ! । जय पणमियपणय ! मुणिंदपणय ! जय जयसु जिणधम्म ! ॥१६॥ जय पणयतियसकामिणिधम्मेल्लुव्वेल्लकुसुमकयसोह ! । जय दुरियजलणजलहर ! जय संतिजिणिंद ! सुरनमिय ! ॥१७॥ जय तुलियकप्पपायवचिंतामणिकामधेणुमाहप्प !। जय समवसरणभूसण ! जय कयजयहरिस ! जिणकुंथु ! ॥१८॥ जय रइअरविमद्दण ! जय जय जरमरणरोगरयरहिय ! । जय रागरोसवज्जिय ! जय तिहुयणपणय ! अरणाह ! ॥१९॥ जय विजियभुवणडामरमहल्लजममल्ललद्धजयसद्द ! । जय तिहुयणसरवररायहंस ! जय मल्लिजिणइंद ! ॥२०॥ जय वयणकिरणबोहियभव्वमहाकुमुयसंडनिसिनाह !। जय मुणिगणहरसंथुय ! मुणिसुव्वय ! सुजय जयनाह ! ॥२१॥ जय पणयपायपंकय ! जय जय पप्फुल्लपंकयदलच्छ ! । जय विजियदुजयघणघाइकम्म ! थु( मु)णिनमिय! नयचलण! ॥२२॥ जय जायवकुलमंडण ! जय जय कंदोट्टवण्णसंकास !।। जय भवभयनिण्णासण ! जय जयसु [अ]रिट्ठवरनेमि ! ॥२३॥ जय खुडियवियडदढकम्मपास ! जय जय पियंगुसंकास ! । जय बत्तीससुराहिवकयमज्जण ! जयसु जिणपास ! ॥२४॥ जय जंबूणयविब्भम ! जय जय तिसलाए वड्डियाणंद !। जय जय विजियपरीसह ! जय तिहुयणनाह ! जिणवीर ! ॥२५॥ इय जिणवरिंदजयसद्दकुसुममालं धरेड् जो कंठे। विमलगुणं सो पावइ सासयसोक्खं सया मोक्खं ॥२६॥ दिट्ठाणि य तत्थ अच्चंतमणहराणि वेमाणियतियसमिहुणयाणि सुमिणम्मि वि मणुयाण दुल्लहाणि । तओ भणिओ साहुणा-'किमणुहरंति एयाओ सुरकामिणओ सुंदरीए?' तेण 25 भणियं–'भयवं! एयाण पुरओ सुंदरी मक्कड्डी(डी) न पुज्जइ' त्ति । अवि य 15 20 D:\mala.pm5\2nd proof

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