Book Title: Dharmopadeshmala prakaranam
Author(s): Jaysinhsuri, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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३३४]
१८२
७३
३०३
[सविवरणं धर्मोपदेशमालाप्रकरणम् वसुमइ [धारिणीधूया ]
१२२ | वेयड्ड[ गिरि] १६४, २२४, २२७, २३८ वंकचूल | [रायपुत्त] ९२, ९३,९४, | वेयरणी [विज्ज]
११२, ११३ वंकचूलि | ९५, ९७, ९८, ९९ वेसमण [ देव]
२७४,३०० वाउक्काय [ दारअ] ११५ वेसमणनयरी [नयरी]
२८७ वाउभूइ [ तइयगणहर] ३०६ वेसमणपुर [इंदपुर]
२५७ वाणमंतर[ देव] २९८ वेसानर [ देव]
१८२ वाणारसी [नयरी] २८६, २९९ वेसाली [नयरी]
१५९, १८५ वारुणदेवी [गणहरमाया ]
३०६
1 [स] वासवदत्ता [ ] २१६ सउणियाविहार[जिणमंदिर]
२१६ वासुदेव [ देवइतणय] १९, २६, २८, ७५, सच्चभामा [ केसवभज्जा]
१६ ११२, १७१, १७३, २६५, २६६ सच्चवई [महादेवी]
२८९ वासुपुज्ज [ तित्थयर]
सज्झ [ गिरि] विजयदेवा [गणहरमाया]
३०६ सणंकुमार[चक्कवट्टी] १६८, १६९, २३७, विजया [ भट्टदारिया] १९८
२३८, २३९ विज्जाहरपुर[नयर]
| सत्तुंजय [ सेल]
२९८ विणमि [ उसभपुत्त]
१९१ सद्धड[टक्क] विण्हु [ वासुदेव] १५, २६८, २७६ सभा। [ ]
२८५, २८६ विण्हु [रायपुत्त २१८, २२०, सहा विण्हुकुमार | -मुणि] २२१, २२२, २२९, | समुद्दविजय। [दसार] ११, १६, २६
२३४, २३५ समोद्दविजय विदेहा [जणवय] १६५ सयंपभा [ देवी]
१२१ विसाहनंदी [ रायतणअ] १७०, १७१ सयंभुरमण [ समुद्द] विसाहभूई [ जुवराया]
सयाणिय | [राया] १२२, १५० विस्सनंदि[सोन्नार]
सयाणीय विस्सनंदी [राया]
१७० सव्वट्ठ [देवलोग] १२१, १२२, १३८ विस्सभूइ[धारिणीसुअ]
१७० सव्वट्ठसिद्ध | विंझ [ पव्वय-साहु] ११३,१४८ सहस्सार[ कप्प]
९८,११३ वीर[जिण] १९०, २०४, ३०५, ३०७ संख [निहि]
२२६ वेज्जसुअ[पंचमभव] १२१ | संगम [आयरिय]
१७९ वेन्नायड | [तड] १४२, १४३ संगम [धन्नापुत्त] विनायड
संगमअ[पुरुष]
३०२ वेभारगिरि [ पव्वय]
१०८ | संझावली [ सनत्कुमारपत्ती] वेमाणिय [कप्प]
२४९ | संब [किण्हसुअ]
१४२
१४
१७०
९५
७४,
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