Book Title: Dharmopadeshmala prakaranam
Author(s): Jaysinhsuri, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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परिशिष्टानि
[१]
प्रथमं परिशिष्टम् धर्मोपदेशमालाप्रकरणगतमूलगाथानामकाराद्यनुक्रमः॥
पृष्ठका १८९
२४६
१७७
१९७
१०१
२४०
२८४
१८०
मूलगाथांशः अकुणंता य कुणंता अच्चंतपावभीरू अच्छउ ता परलोगो अणुकंपाकिरियाए अण्णासत्ता महिला अनिरूविऊण सम्म अपसत्थनिमित्ताओ अमुणियजिणिंदवयणा अविहीए सामण्णं अव्वोच्छित्तिनिमित्तं आलोयणाइपुव्वं इंगियचिट्ठाईहि य गुरुणो इच्छंतस्स वि पूया इह लोगम्मि वि बंधं इह लोगम्मि वि सिज्झइ उज्झियनियकायव्वो उप्पत्तियाइचउव्विहएक्कण वि मुणिवयणेण एताउ इमं लटुं कम्मवसेणं मुणिणो कयपावो वि मणूसो
पृष्ठका | मूलगाथांशः १००
कालाणुरूवकिरियं १८९ कालोवयोगि संतं २४३ कुलवहुढयराहरणं १११
| कोहानलपज्जलिया २८१ खंतीए वट्टमाणा
गाहिज्जंता नाणं गुणदोसविसेसण्णू
चेट्टो( बद्धो )त्तरमायाकूड२९९ छलसंगहियं दव्वं
जम्मंतरकयपुण्णा | जाईकुलपरिहीणा १५१ जाणतो वि तमत्थं २९० जायइ विसं पि अमयं
जाव न दुक्खं पत्तो जावयमेत्तं भणिओ
जिण-सिद्ध-सूरि-उवज्झाय २७२
जीयं( वं) अथिरं पि थिरं २११
जुवईए रागरत्तो २५९ जो न वि वट्टइ रागे
जो मरणम्मि वि पत्ते णत्थि असज्झं किंचि वि
२९७
१५९ ३०१ १७४ १८२ २५३
२१७
२१४
३
१९६
२९६ ३००

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