Book Title: Dharmopadeshmala prakaranam
Author(s): Jaysinhsuri, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 371
________________ परिशिष्टम् [ २ ]धर्मोपदेशमालाविवरणगतोद्धृतप्राकृतगाथानामकाराद्यनुक्रमः ॥ [ ३१५ [छ] छम्मासेहिं अहीयं २०८ छुहातण्हारोगभयाउरेसु २०५ [द.वै./अ.२/९] [उ.नि./१३४] [उ.नि./१२७] जइ तं काहिसि भावं जइ फुल्ला कणियारया जड़ सच्चं चिय सीहो जणणीए मणागं ति य गब्भे जत्थ तरुणो महल्लो जत्थ राया सयं चोरो जमहं दिया य राओ जरमरणरोगसोगाउराण जह उग्गए वि सूरे जह चोल्लयाइएहिं जहा लाभो तहा लोभो जं अज्जिअं चरित्तं जं अज्जियं चरितं जं अण्णाणी कम्म जं पि वत्थ व पायं वा जाव वुच्छं सुहं वत्) जेट्ठासाढेसु मासेसु जेण जीवंति सत्ताणि जेण भिक्खं बलिं देमि जेण रोहंति बीयाणि जो चंदणेण बाहुँ २११ २३६ २५२ [उत्त./८/१७गा.] [चं.प./१५] [हि.मा./४११] [गाथा./५०७] [द.वै./६/२०] [उ.नि./१३२] [उ.नि./१३०] [उ.नि./१३१] [उ.नि./१२४] [उ.नि./१२६] [उव.मा./९२] [ ] 50worror rrrwww ११५ ११५ २३६ णीया लोयमभूया य णेगाणं तु सहस्साणं १५९ १९२ [उत्त./२३/३५] [त] तरियव्वा य पइन्निया mala-p\2nd proof 315

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