Book Title: Dharmopadeshmala prakaranam
Author(s): Jaysinhsuri, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan
View full book text
________________
[सविवरणं धर्मोपदेशमालाप्रकरणम्
[
]
१८३
३१४] उवरोहयाए कज्जं की उवरोहयाए कीरइ उवसमेण हणे कोहं
१५४ २३६
[द.वै./८/३९] [ए]
[उत्त./२३/३८] [उत्त./२३/३६] [ति.गा./१०६६]
एगम्मि महारुक्खे एगे अप्प[5 जिए एगे जिए जिया पंच एते देवणिकाया एतेसिं धायओ जो उ एवं करेंति संबुद्धा एवं चेव पमाणं एसा णो छट्ठिया जाई
W० ० ०
[द.वै./अ.२/११] [स.र./३२] [उत्त./१३/७उ.] [क]
१६९
११८
[आ.नि.भा./२०५] [
] [आ.नि./१०९]
१५९ २८४
२१
कडगा य ते कुंडला य ते करकंडू कलिंगेसु कलहकरो डमरकरो काऊण नमोक्कारं किं ताए नाणलच्छीए? कुवियस्स आउरस्स य कुसलाणुबंधे कम्मोदएण कोहो य माणो य अणिग्गहीया
१९७ १७७
३२
[द.वै./८/४०]
२३६
गंगाए नाविओ नंदो गुणदोसो णावेक्खइ गोटुंगणस्स मज्झे
२८६ २८१ १६४
घम्मा वंसा सेला
२०४
[आ.नि.भा./२०९] [ ]
[बृ.सं./२११] [च] [उत्त.३/१ गा.] [आव.नि./८३२]
२२२
चत्तारि परमंगाणि चोल्लगपासगधण्णे
५२
mala-p\2nd proof 314

Page Navigation
1 ... 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418